Explanation of poem matribhumi by sohanlal drivedi
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I am giving you a summary of this poem in both language Hindi and english ok
उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत स्थित है जिसकी ऊंची चोटियां आकाश का स्पर्श करती दिखाई देती है विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत भारत के गौरव का प्रतीक है इस देश के दक्षिण दिशा में स्थित हिंद महासागर भारत मां के चरणों का स्पर्श करके मानो अपने सौभाग्य पर इतराता है
इस देश में गंगा यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदी का अनोखा संगम है जिसका अद्भुत सौंदर्य चारों ओर छाया दिखाई देता है नदियों के पवित्र जल से सिंचित भारत की धरती हरी भरी और सुंदर दिखाई देती है यह धरती पवित्र भांति भांति के खनिज पदार्थों औषधि वनस्पतियों से संपन्न है
ऐसा महान देश मेरी जन्म भूमि है मेरी मातृभूमि मुझे इस सौभाग्य पर गर्व hai
कवि कहते हैं कि भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में कल कल बहते हुए झरने यहां की शोभा बढ़ाते हैं इन हरे-भरे वन्य प्रदेशों में चिड़ियों के मधुर कनेरा से वातावरण मदमस्त हो जाता है आम के घने बगीचों में वसंत ऋतु के आगमन पर कोयल की मीठी कुक सुनाई देती है भारत के दक्षिण में स्थित हिमालय पर्वत से बहने वाली शीतल और सुगंधित हवा प्राणियों को तन मन को स्फूर्ति व ताजगी से भर देती है
यहां अनेक धर्मों की स्थापना हुई जिससे मनुष्य को एक नई जीवन दृष्टि मिली यह देश कर्म प्रधान देश है इसकी सेवा सम्मान है मेरा भारत भूमि मेरी मातृभूमि है जो मुझे सदैव कर्म और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है
जन्म देने वाले वीर महापुरुषों का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि इस देश में रघुकुल में श्री राम का जन्म हुआ जो मर्यादा पुरुषोत्तम है उनका जीवन चरित्र मानव जीवन का सर्वोच्च आदर्श प्रस्तुत करता है यहां सीता जैसी पतिव्रता वह धर्म परायण स्त्री का जन्म हुआ जिन्होंने नारी धर्म का आदर्श स्थापित किया यह द्वापर युग में श्री कृष्ण ने जन्म लिया जिन्होंने महाभारत के युद्ध में गीता का उपदेश देकर मनुष्य को निष्काम कर्म की शिक्षा दी बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ने मानव को प्रेम और अहिंसा का पाठ पढ़ाया उनके मन के दीपक से आज विश्व के अनेक देश से अलौकिक हैं बुद्ध ने लोगों को माया मोह आदि विकारों से मुक्त होकर ज्ञान मार्ग पर चलने का संदेश दिया है
कवि कहते हैं कि यह भारत भूमि मेरी जन्म भूमि है जो शांति और अहिंसा की वाहक है तथा धर्म और न्याय के रक्षक है