explanation of the poem ise jagau
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“इसे जगाओ” कविता हिंदी के प्रसिद्ध कवि ‘भवानी प्रसाद मिश्र’ द्वारा लिखी गयी है।
कवि सूरज और पवन से बात करते हुए कहता है कि हे सूरज यह मनुष्य जो बहुत समय से सोया हुआ है तुम इसे जगाओ क्योंकि सवेरा हो गया है। लेकिन मनुष्य अपने सपनों में ही खोया हुआ सो रहा है। हे पवन तुम इसके पास जाकर इसे झकझोरो ताकि ये जाग जाये।
कवि पक्षियों से कहता है हे पक्षियों तुम जाकर इस मनुष्य के कानों के पास जाकर जोर से चिल्लाओ ताकि तुम्हारी आवाज सुनकर यह जाग जाए। इसका जागना समय पर जागना जरूरी है ताकि यह अपने कार्यों में प्रवृत्त हो। अगर यह देर से जागेगा तो इसके काम पीछे छूट जाएंगे और इसके साथ वाले इससे आगे निकल जायेंगे। फिर हड़बड़ाहट में ये उनके पीछे भागेगा जो इससे आगे निकल गये हैं।
कवि कहता है कि तेज भागने और हड़बड़ाहट में भागने की प्रक्रिया में अंतर है। तेज भागने में मनुष्य समय का ध्यान रखते हुए सजगता से भागता है जबकि हड़बड़ाहट में केवल घबराहट होती है और मनुष्य उस घबराहट में सही लक्ष्य पर नहीं पहुंच पाता। इसलिए सूरज तुम इसे जगा दो, पवन तुमसे जब झकझोर दो, पक्षियों उसके कान के पास जाकर चिल्लाओ ताकि ये समय से जाग जाए और अपने दैनिक कार्यों में लग जाए।
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what is mean by ise jagau