फेफड़ों की क्षमता को परिभाषित कीजिए
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जिंदा रहने के लिए सांस लेना जरूरी है। वहीं, फेफड़ों स्वस्थ हो तो शरीर भी स्वस्थ रहता है लेकिन बदलते लाइफस्टाइल में लोगों को सांस संबंधित बीमारियां बढ़ रही है। एेसे में फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए अच्छी आदतों को अपनाना जरूरी है। आज हम आपको कुछ टिप्स देने जा रहे है जिन्हें अपनाकर फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
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हवा या वायु में सांस लेने वाले प्राणियों का मुख्य सांस लेने के अंग फेफड़ा या फुप्फुस (जैसा कि इसे वैज्ञानिक या चिकित्सीय भाषा मे कहा जाता है) होता है। यह प्राणियों में एक जोडे़ के रूप मे उपस्थित होता है। फेफड़े की दीवार असंख्य गुहिकाओं की उपस्थिति के कारण स्पंजी होती है। यह वक्ष-गुहा में स्थित होता है। इसमें लहू का शुद्धीकरण होता है। प्रत्येक फेफड़ा में एक फुफ्फुसीय शिरा हिया से अशुद्ध लहू लाती है। फेफड़े में लहू का शुद्धीकरण होता है। लहू में ऑक्सीजन का मिश्रण होता है। फेफडो़ का मुख्य काम वातावरण से प्राणवायु लेकर उसे लहू परिसंचरण मे प्रवाहित (मिलाना) करना और लहू से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर उसे वातावरण में छोड़ना है। गैसों का यह विनिमय असंख्य छोटे छोटे पतली-दीवारों वाली वायु पुटिकाओं जिन्हें अल्वियोली कहा जाता है मे होता है। यह शुद्ध लहू फुफ्फुसीय धमनी द्वारा हिया में पहुँचता है, जहां से यह फिर से शरीर के विभिन्न अवयवों मे पम्प किया जाता है।