फुल हाथ में लेकर सुखिया के पिता क्या सोच रहे थे
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बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?
उत्तर: बीमार बच्ची ने कहा कि उसे देवी माँ के प्रसाद का फूल चाहिए।
सुखिया के पिता पर कौन सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?
उत्तर: सुखिया के पिता पर मंदिर को अशुद्ध करने का आरोप लगाया गया। वह अछूत जाति का था इसलिए उसे मंदिर में प्रवेश का अधिकार नहीं था।
जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने बच्ची को किस रूप में पाया?
उत्तर: जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने बच्ची को राख की ढ़ेर के रूप में पाया।
इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: इस कविता में छुआछूत की प्रथा के बारे में बताया गया है। इस कविता का मुख्य पात्र एक अछूत है। उसकी बेटी एक महामारी की चपेट में आ जाती है। बेटी को ठीक करने के लिए वह मंदिर जाता है ताकि देवी माँ का प्रसाद ले आये। मंदिर में सवर्ण लोग उसकी जमकर धुनाई करते हैं। फिर उसे सात दिन की जेल हो जाती है क्योंकि एक अछूत होने के नाते वह मंदिर को अशुद्ध करने का दोषी पाया जाता है। जब वह जेल से छूटता है तो पाता है कि उसकी बेटी स्वर्ग सिधार चुकी है और उसका दाह संस्कार भी हो चुका है। एक सामाजिक कुरीति के कारण एक व्यक्ति को इतना भी अधिकार नहीं मिलता है कि वह अपनी बीमार बच्ची की एक छोटी सी इच्छा पूरी कर सके। बदले में उसे जो मिलता है वह है प्रताड़ना और घोर दुख।
कविता की उन पंक्तियों को लिखिए, जिनसे निम्नलिखित अर्थ का बोध होता है:
सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृदय काँप उठता था।
उत्तर: मेरा हृदय काँप उठता था,
बाहर गई निहार उसे;
यही मनाता था कि बचा लूँ
किसी भाँति इस बार उसे।