फूलों का अपना कोई परिवार नहीं होता, खुशबू का अपना कोई घर-द्वार नहीं होता।
हम गुज़रे कल की आँखों का सपना ही तो हैं, क्यों मानें सपना कोई साकार नहीं होता ?
इस दुनिया में अच्छे लोगों का ही बहुमत है, ऐसा अगर न होता तो ये संसार नहीं होता।
कितने ही अच्छे हों कागज़-पानी के रिश्ते, कागज़ की नावों से दरिया पार नहीं होता।
हिम्मत हारे तो सब कुछ नामुमकिन लगता है, हिम्मत कर लें तो कुछ भी दुश्वार नहीं होता।
वे दीवारें घर जैसा सम्मान नहीं पाती,
जिनमें कोई खिड़की कोई द्वार नहीं होता।
-अशोक रावत
लिखिए (question and answer
1 फूलों के जीवन की क्या सार्थकता है।
2 दुनिया में अच्छे लोग अधिक हैं, यह किस बात से पता चलता है ?
3 'कागज़ की नावों से दरिया पार नहीं होती।' इस पंकित के माध्यम से कवि हमसे क्या कहना चाह रहे हैं ?
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- फूलों का अपना कोई परिवार नहीं होता, खुशबू का अपना कोई घर-द्वार नहीं होता।
- इस दुनिया में अच्छे लोगों का ही बहुमत है, ऐसा अगर न होता तो ये संसार नहीं होता।
- कितने ही अच्छे हों कागज़-पानी के रिश्ते, कागज़ की नावों से दरिया पार नहीं होता।
I thik so this is the answer ✍
Hope it helps you ☺️
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Answer:
kagaj ki nav se dariya paar nahin hota
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