फूल के विचार में जीवन जीने की कला क्या है
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फूल का विचार यह है की जब वो खिला हुआ फूल होता है तो भंवरे उस पर रस के लिए मंडराते है लेकिन जब वह सुख कर धरती पर गिर जाता है तो भौरा भी उस पर नही मंडराता और उसका दुख कोय नही समझता , इस प्रकार फूल सोचा है की भगवान ने सबको स्वार्थमय बनाया है।
इस प्रकार फूल के विचार में जीवन की कला यह है की हमे किसी पर निर्भर नही रहना चाहिए, दुनिया स्वार्थी है। हमे मदद के बदले में उससे मदद की आशा नही रखनी चाहिए। हमे आत्मनिर्भैर बनना चाहिए।
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