फोन से होने वाली मानसिक समस्या
Answers
- मोबाइल की लत के कारण नींद ना आना, तनाव और वाईब्रेशन से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं शुरु हो जाती है। अनुभव शर्मा ने बताया कि मोबाइल से चिड़चिड़ा स्वभाव भी उत्पन्न होना शुरु हो जाता है। इससे पढ़ाई पर भी विपरीत असर पड़ता है। मोबाइल के अधिक उपयोग से मन की शांति भंग होना शुरु हो जाती है।
नई दिल्ली: आमतौर पर स्मार्टफोन के उपयोग के नकारात्मक प्रभावों के बारे में लोगों को बात करते देखा जाता है, लेकिन हाल ही में शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसा पाया है जिसके मुताबिक टीनएजर्स का अपने फोन पर या ऑनलाइन वक्त बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए उतना भी बुरा नहीं है। नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर माइकेलिन जेन्सन ने कहा है, "आम धारणा के विपरीत कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया युवक-युवतियों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, हम इस विचार के लिए ज्यादा सपोर्ट नहीं देख रहे हैं कि फोन और ऑनलाइन बिताए गए वक्त का संबंध मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़े जोखिम से है।"
क्लिनिकल साइकोलॉजिकल साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 10 से 15 वर्ष तक के आयु वर्ग के बीच 2,000 से अधिक टीनएजर्स पर परीक्षण किया।शोधकर्ताओं ने दिन में तीन बार इन किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित लक्षणों के रिपोर्ट को इकट्ठा किया और इसके साथ ही हर रोज वे फोन या ऑनलाइन जितना समय बिताते थे उसके बारे में भी रात को रिपोर्ट तैयार किया जाता था।
RELATED STORIES
दिखे ये संकेत तो समझों आपकी किडनी हो गई है डैमेज, जानें लक्षण
अमिताभ बच्चन से किया खुलासा, इस बीमारी के कारण खराब हुआ उनका 75 फीसदी लिवर
दूध के साथ इस तरह करें तुलसी का सेवन, फायदे सुनकर हो जाएंगे हैरान
Breast Cancer: नार्मल से दिखने वाले इस संकेतों को न करें इग्नोर, हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर
9 घंटे से अधिक समय तक बैठे रहने से जल्द मौत का खतरा: Study
Air Pollution के कारण समय से पहले हो सकती है मौत: रिसर्च
इन रिपोर्ट को जब बाद में देखा गया तो शोधकर्ताओं ने पाया कि डिजिटल तकनीक के अत्यधिक उपयोग का संबंध खराब मानसिक स्वास्थ्य से नहीं है। शोधकर्ताओं ने कहा कि रिपोर्ट में जिन युवाओं के अधिक टेक्सट मैसेज भेजने की सूचना मिली वे उन युवाओं की तुलना में अच्छा महसूस कर रहे थे जिन्होंने कम मैसेज भेजा। तकनीक के अत्यधिक उपयोग के खिलाफ सलाह देते हुए विशेषज्ञों ने इसका उपयोग जिम्मेदारी के साथ करने पर जोर दिया।
मनोवैज्ञानिक और नोएडा में फोर्टिस मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के निदेशक समीर पारेख के मुताबिक, एक युवा की जिंदगी इनडोर और आउटडोर गतिविधियों के साथ अच्छी तरह से संतुलित होना चाहिए और पढ़ाई व मस्ती के बीच भी संतुलन का होना बेहद आवश्यक है।
please mark my ans as brainliest please find