"फिरि बूझति है चलनो अब केतिक, पर्णकुटी करिहौं कित है।" इससे सीताजी के मन का भाव व्यक्त हुआ है –
(क) आतुरता
(ख) उत्सुकता
(ग) चिन्ता
(घ) संवेदना
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Your answer is. आतुरता option (a)
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ihvihvbiibhigohbobbojpj
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