Social Sciences, asked by anjuvermao686, 9 months ago

फ्रांस की 1804 की नागरिक साहित्य ​

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Answered by vishalaluminium4290
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फ्रांस की सिविल संहिता (फ्रेंच आधिकारिक नाम : Code civil des français) नैपोलियन प्रथम द्वारा १८०४ में फ्रांस में लागू की गयी। इसे 'नैपोलियन कोड' भी कहते हैं। इस संहिता द्वारा जन्म के आधार पर दिये गये विशेषाधिकार बन्द कर दिये गये, इसके तहत धर्म की स्वतंत्रता प्रदान की गयी, तथा इसमें कहा गया कि सरकारी नौकरियाँ उनको मिलें जो सर्वाधिक योग्य हों।[1]

स्पेयर की प्लैटिनेट ऐतिहासिक म्यूजियम में नेपोलियन कोड

क्रांति से पूर्व फ्रांस में आनेक कानून थे और उनमें परस्पर ‌असंगतियां थी। नेपोलियन ने कानून की एक संहिता तैयार करवाई, जिसे 'नेपोलियन की कानून संहिता' या नेपोलियन कोड कहा जाता है। इस विधि से संहिता के निर्माण में नेपोलियन ने व्यक्तिगत रूचि का प्रदर्शन किया था और उसकी इच्छा अनुसार ही इसका निर्माण हुआ। इस संहिता में कोई नई बात नहीं थी तथापि जिस रूप में उसको प्रस्तुत किया गया था उससे फ्रांस के कानून को एक नया रूप मिला था। फ्रांस में क्रांति से पहले तथा क्रांतिकाल में बने असंख्य कानूनों को समाप्त कर दिया गया। इस कानून को बनाने में पुरातन एवं नवीन कानूनों का समन्वय किया गया था। जिसमें एक ओर पुराने कानूनों के दोषों को दूर किया गया और दूसरी और क्रांतिकारी समय के नवीन और उपयोगी कानून को सही तरीके से रखा गया।[2]

जूली की सहायता से खुले में मुकदमे सुनने की व्यवस्था की गई। कानूनों के समक्ष सब की समानता के सिद्धांत को विधि संहिता में स्थान दिया गया। व्यक्तिगत संपत्ति के सिद्धांत को मान्यता दी गई और भूमि पर स्वामी के अधिकार को इतना ठोस बनाया गया, जितना वह पहले कभी नहीं था। किसानों को भूमि छीन जाने का जो भय था वह हमेशा के लिए खत्म हो गया। इसलिए वे नेपोलियन के समर्थक बन गए।

इतिहासकार रॉबर्ट होल्टमैन का मानना है कि यह उन गिने-चुने प्रपत्रों में से एक है जिन्होने संसार पर अपनी छाप छोड़ी है। ज्ञातव्य है कि यह यूरोप के किसी देश में लागू होने वाला पहला सिविल कोड नहीं था बल्कि कुछ देशों में इससे पहले भी सिविल कोड लागू हो चुके थे।

नेपोलियन की कानून संहिता उसका स्थाई कार्य सिद्ध हुआ। आज भी फ्रांस में सिविल मैरिज के समय वर वधु को नेपोलियन की संहिता की धाराओं के अनुसार शपथ लेनी पड़ती है। नेपोलियन ने स्वयं इस कानून संहिता के महत्व को स्वीकार करते हुए सेंट हेलेना में एक बार कहा था, 'मेरा वास्तविक गौरव मेरी चालीस युद्धों की विजय में नहीं है, मेरी विधि संहिता ही ऐसी है जो कभी ना मिट सकेगी और चिरस्थाई सिद्ध होगी।'[3]

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