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1. नवस्वाधीन भारत के सामने कौन सी तीन समस्याएँ थीं?
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Answer with Explanation:
नवस्वाधीन भारत के सामने निम्नलिखित तीन समस्याएँ थीं :
(1) शरणार्थियों की समस्या :
देश के बंटवारे के कारण तब 80 लाख शरणार्थी पाकिस्तान से भारत आ गए थे। इन लोगों के लिए रहने की व्यवस्था करना और उन्हें काम देना बहुत आवश्यक था।
(2) रियासतों की समस्या :
उस समय लगभग 500 रियासतें राजाओं के नवाबों के शासन के अधीन रही थी। इन सभी रियासतों को नए राष्ट्र में जोड़ने के लिए तैयार करना एक बहुत ही मुश्किल काम था।
(3) एकता की समस्या :
नवस्वाधीन भारत की जनसंख्या उस वक्त लगभग 34.5 करोड़ थी। भारत की जनसंख्या उस समय विभिन्न जातियों एवं धर्मो में बंटी हुई थी। लोग अलग-अलग प्रकार की भाषाएं बोलते थी उनके पहनावे में भी काफी अंतर था। उनके खाने-पीने और कामकाज में भी काफी अंतर था। इतनी विविधता वाले लोगों को एक राष्ट्रीय राज्य के रूप में जोड़ना एक बहुत बड़ी समस्या थी।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।
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3. रिक्त स्थान भरें : (क) केंद्रीय सूची में ............... और ....... विषय रखे गए थे। (ख) समवर्ती सूची में ......... और ......... विषय रखे गए थे। (ग) वह आर्थिक योजना जिसमें सरकारी और निजी, दोनों क्षेत्रों को विकास में भूमिका दी गई थी, उसे ...... मॉडल कहा जाता था।
(घ) ........... की मृत्यु से इतना जबरदस्त आंदोलन पैदा हुआ कि सरकार को आंध्र भाषी राज्य के गठन की माँग को मानना पड़ा।
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2. योजना आयोग की क्या भूमिका थी?
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नवस्वाधीन भारत की तीन प्रमुख समस्याएं:
1) 500 से अधिक रियासतों का भारतीय संघ में विलय किया जाना था। इन रियासतों का विलय करना भारतीयों के लिए बहुत बड़ा काम था। क्योंकि ये रियासतें भारत में विलय के लिए राजी नहीं थीं।
2) भारत के विभाजन के प्रवासियों को आश्रय प्रदान करना। विभाजन के बाद कई करोड़ लोग भारत आए। उन्हें आश्रय देना बहुत बड़ा काम था। इस प्रक्रिया में कई लोगों की जान चली गई।
3) एक अच्छी सरकार और अच्छा संविधान बनाना स्वतंत्रता के बाद, भारत को एक अच्छी सरकार और संविधान की आवश्यकता थी। लोगों की इस मात्रा के लिए अधिकार देना बहुत बड़ा काम था।
अन्य समस्याएं थीं:
• अशिक्षा
• बेरोजगारी
• खराब स्वास्थ्य
• कम अर्थव्यवस्था
• सांप्रदायिकता आदि।