History, asked by nandini9477, 1 year ago

फिर से याद करें
1. वास्तुकला का 'अनुप्रस्थ टोडा निर्माण' सिद्धांत 'चापाकार' सिद्धांत से किस
तरह भिन्न है।
2. 'शिखर' से आपका क्या तात्पर्य है?
3 'पितरा दूरा' क्या है?
4 एक मुग़ल चारबाग की क्या खास विशेषताएँ है?
आइए समझा​

Answers

Answered by shishir303
20

1.

अनुप्रस्थ टोडा निर्माण — सातवीं शताब्दी से लेकर दसवीं शताब्दी के बीच वास्तुकार कक्ष में दरवाजे और खिड़कियां अधिक संख्या बनाने लगे थे। तब छत ,दरवाजे और खिड़कियां दो ऊर्ध्वकार खंबों पर आर-पार शहतीर रखकर बनाए जाते थे। वास्तुकला की ये शैली ‘अनुप्रस्थ टोडा निर्माण’ कही जाती है।

चापाकर सिद्धांत — जब दरवाजे और खिड़कियां बनाए जाते तो उनके ऊपर की जो अधिरचना होती थी उसका भार मेहराबों पर डाल दिया जाता था। इस पद्धति को ‘चापाकार सिद्धांत’ पद्धति कहते थे।

2.

शिखर — किसी मंदिर का सबसे ऊंचा भाग जो शंकुनुमा होता है, जिसके नीचे मंदिर का गर्भ गृह स्थित होता है, वह मंदिर का ‘शिखर’ कहलाता है।

3.

एक उत्कीर्णित संगमरमर या बलुआ पत्थरों पर छोटे-छोटे रंगीन पत्थरों को दबाकर बनाए गए सुंदर अलंकृत नमूनों को ‘पितरा दूरा’ कहते हैं।

4.

एक मुगल चारबाग की विशेषताएं इस प्रकार हैं...

चारबाग हमेशा चार समान हिस्सों में बंटे होते थे। यह बाग चारों तरफ दीवार से घिरे होते थे। बाग एक आयताकार हिस्से में होते थे, जिसे नहरों द्वारा चार हिस्सों में विभाजित किया जाता थे।

Answered by gatganesh81
1

Answer:

1.

अनुप्रस्थ टोडा निर्माण - सातवीं शताब्दी से लेकर

-

दसवीं शताब्दी के बीच वास्तुकार कक्ष में दरवाजे

और खिड़कियां अधिक संख्या बनाने लगे थे। तब

छत, दरवाजे और खिड़कियां दो ऊर्ध्वकार खंबों पर

आर-पार शहतीर रखकर बनाए जाते थे। वास्तुकला

की ये शैली 'अनुप्रस्थ टोडा निर्माण' कही जाती है।

चापाकर सिद्धांत – जब दरवाजे और खिड़कियां बनाए जाते तो उनके ऊपर की जो अधिरचना होती थी उसका भार मेहराबों पर डाल दिया जाता था। इस पद्धति को ‘चापाकार सिद्धांत' पद्धति कहते थे ।

2.

शिखर – किसी मंदिर का सबसे ऊंचा भाग जो शंकुनुमा होता है, जिसके नीचे मंदिर का गर्भ गृह स्थित होता है, वह मंदिर का 'शिखर' कहलाता है।

3.

एक उत्कीर्णित संगमरमर या बलुआ पत्थरों पर छोटे-छोटे रंगीन पत्थरों को दबाकर बनाए गए सुंदर अलंकृत नमूनों को 'पितरा दूरा' कहते हैं ।

4.

एक मुगल चारबाग की विशेषताएं इस प्रकार हैं...

चारबाग हमेशा चार समान हिस्सों में बंटे होते थे। यह बाग चारों तरफ दीवार से घिरे होते थे। बाग एक आयताकार हिस्से में होते थे, जिसे नहरों द्वारा चार हिस्सों में विभाजित किया जाता थे।

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