फोटोवोल्टिक प्रणाली क्या कार्य करती है ? दूरभाष , टेलीविजन , रेडियो चलाने में सहायक 2 ) पंखे व बिजली पम्प चलाने में सहायक 3 ) सौर प्रकाश को बिजली में रुपांतरित करके रोशनी प्राप्त करने में सहायक 4 ) उपरोक्त सभी कार्यों में सहायक ।
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Explanation:
एक सौर पैनल (फोटोवोल्टिक मॉड्यूल या फोटोवोल्टिक पैनल) सौर सेलों (बैटरियों) का एक संकुलित परस्पर संबद्ध संयोजन है, जिन्हें फोटोवोल्टिक सेलों के रूप में भी जाना जाता है। सौर पैनल का प्रयोग एक बड़े फोटोवोल्टिक प्रणाली में एक घटक के रूप में वाणिज्यिक और आवासीय अनुप्रयोगों के लिए बिजली प्रदान करने के लिए किया जाता है।
क्योंकि एक एकल सौर पैनल केवल एक सीमित मात्रा में विद्युत्-शक्ति का उत्पादन कर सकते हैं, कई प्रतिष्ठानों में अलग-अलग पैनल होते हैं। इसे एक फोटोवोल्टिक श्रृंखला कहा जाता है। एक फोटोवोल्टिक संस्थापन में आमतौर सौर पैनलों की एक श्रुंखला, एक इनवर्टर, बैटरियां और अन्तःसंबंध वायरिंग होता है।
फोटोवोल्टिक प्रणालियों का प्रयोग ऑन-ग्रिड या ऑफ-ग्रिड अनुप्रयोगों और अंतरिक्ष यान पर सौर पैनलों के लिए किया जाता है।
सौर ऊर्जा वह ऊर्जा है जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। सौर ऊर्जा ही मौसम एवं जलवायु का परिवर्तन करती है। यहीं धरती पर सभी प्रकार के जीवन (पेड़-पौधे और जीव-जन्तु) का सहारा है।वैसे तो सौर उर्जा को विविध प्रकार से प्रयोग किया जाता है, किन्तु सूर्य की ऊर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने को ही मुख्य रूप से सौर उर्जा के रूप में जाना जाता है। सूर्य की ऊर्जा को दो प्रकार से विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। पहला प्रकाश-विद्युत सेल की सहायता से और दूसरा किसी तरल पदार्थ को सूर्य की उष्मा से गर्म करने के बाद इससे विद्युत जनित्र चलाकर सौर ऊर्जा सबसे अच्छा ऊर्जा है। यह भविष्य में उपयोग करने वाली ऊर्जा है।
विश्व के विभिन्न भागों का औसत सौर विकिरण (आतपन, सूर्यातप)। इस चित्र में जो छोटे-छोटे काले बिन्दु दिखाये गये हैं, यदि उनके ऊपर गिरने वाले सम्पूर्ण सौर विकिरण का उपयोग कर लिया जाय तो विश्व में उपयोग की जा रही सम्पूर्ण ऊर्जा (लगभग 18 टेरावाट) की आपूर्ति इससे ही हो जायेगी।
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