फादर बुल्के का अंतिम संस्कार कब,कहां और किस विधि से किया गया?
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वह 18 अगस्त 1982 का सुबह 10:00 का समय था!दिल्ली में कश्मीरी गेट के निकलसन कब्रगाह में उनका ताबूत एक छोटी सी नीली गाड़ी में से उतारा गया! कुछ पादरी,रघुवंश जी का बेटा और उनके परिजन राजेश्वर सिंह उसे उतार रहे थे! फिर उसे उठाकर एक लंबी सकड़ी,उदास पेड़ों की घनी छाह वाली सड़क से कब्रगाह के आखिरी छोर तक ले जाया गया जहां धरती की गोद में सुलाने के लिए कब्र आवांक मुंह को खोले लेटी थी! ऊपर करील के घनी छाया थी और चारों और कब्रे और तेज धूप के वृत्त!जैनेंद्र कुमार,विजयेंद्र स्नातक,अजीत कुमार,डॉ निर्मला जैन और मसीही समुदाय के लोग,पादरीगण, है उनके बीच में गैरिक वसन पहने इलाहाबाद के प्रसिद्ध विज्ञान शिक्षक-डॉ सत्यप्रकाश और डॉक्टर रघुवंशी जोक् अकेले उस सकरी सड़क की ठंडी उदासी में बहुत पहले से खामोश दुख की किन्ही अपरिचित आहटो से दबे हुए थे,सीमट आए थे कमरे के चारों तरफ! फादर कि देह पहले कब्र के ऊपर लिटाई गई! मसीह की विधि से अंतिम संस्कार शुरू हुआ! रांची के फादर पास्कल त्योना के द्वारा!उन्होंने हिंदी में मसिही विधि से प्रार्थना की फिर सेंट जेवियर्स के रेक्टर फादर पास्कल ने उनके जीवन और कर्म पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा,' फादर बुल्के धरती में जा रहे हैं,इस धरती से ऐसे और रत्न पैदा हो!'डॉक्टर सत्य प्रकाश ने भी अपनी श्रद्धांजलि में उनके अनुकरणीय जीवन को नमन किया! फिर देह कब्र में उतार दी गई!
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father ka biyakatitvya kesa that