फादर बुल्के की मृत्यु किस बीमारी से हुई
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फादर बुल्के की मृत्यु जबरबाद (गैंगरीन) नामक बीमारी से हुई थी।
व्याख्या :
‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ नामक पाठ में लेखक ने फादर कामिल बुल्के के विषय में वर्णन किया है। फादर कामिल बुल्के बेल्जियम के मूल निवासी थी, जिन्होंने अपनी जीवन भारत में बिताया। विदेशी होने के बावजूद उन्हे हिंदी भाषा से बेहद प्रेम था और उन्होंने हिंदी भाषा के लिए बहुत कार्य किए। वह सबको प्रेम-स्नेह करने वाले, सबकी भलाई करने वाले, किसी की मुसीबत में उसके साथ हमेशा खड़े रहने वाले व्यक्ति थे, लेकिन उनकी सहृदयता के बावजूद आखिरी समय में उनकी मृत्यु जहरबाद नामक बीमारी से हुई। लेखक को इस बाद का अफसोस था कि इतनी अच्छे व्यक्ति होने के बावजूद जहरबाद जैसी कष्टदायक बीमारी से उनकी मृत्यु हुई।
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Explanation:
17 अगस्त 1982 में गैंगरीन के कारण एम्स, दिल्ली में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी।
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