फलोरीन की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी क्लोरीन से कम क्यों होती है
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फ्लोरीन की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी क्लोरीन से कम इसलिए होती है, क्योंकि प्लोरीन की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी –328 kj mol⁻¹ होती है, जबकि क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी - –349 kj mol⁻¹ है। अतः स्पष्ट है कि फ्लोरीन की इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी क्लोरीन की अपेक्षा कम है, ऐसा लिये होता है क्योंकि फ्लोरीन 3p कक्षक का है जबकि क्लोरीन 2p कक्षक का है। 3p कक्षक के तत्वों आकार में बड़े होने के कारण इनका घनत्व होता है और ये इलेक्ट्रॉनों को कम प्रतिकर्षित करते हैं, अर्थात इनकी इलैक्ट्रॉन ग्रहण एंथैल्पी अधिक होती है। जबकि 2p कक्षक के तत्व आकार में छोटे होने के कारण इनका घनत्व अधिक होता है, जिससे ये इलेक्ट्रॉन को अधिक प्रतिकर्षित करते हैं। अतः इनकी इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की एंथैल्पी कम होने के कारण बाहर से आने वाला इलेक्ट्रॉन अधिक प्रतिकर्षण महसूस करता है। चूंकि फ्लोरीन क्लोरीन के अपेक्षा इलेक्ट्रॉन को अधिक प्रतिकर्षित करता है, इसलिये फ्लोरीन की इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करने की एंथैल्पी क्लोरीन की अपेक्षा कम होती है।
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