फसल' कविता में "हाथों के स्पर्श की गरिमा" किसे कहा गया है?
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‘नागार्जुन’ द्वारा रचित ‘फसल’ कविता में हाथों के स्पर्श की गरिमा किसान को कहा गया है।
कवि किसान की महत्ता को बताते हुए कहता है कि कोई भी समाज फसल के बिना नहीं रह सकता अर्थात फसल से ही खाद्यान्न प्राप्त होता है और खाद्यान्न से ही मानव का जीवन चलता है।
इस जीवनदायी फसल को उगाने वाला किसान होता है, वो अन्नदाता है, इसलिए इस अन्नदाता किसान के हाथों के स्पर्श की गरिमा हम सब को महसूस करनी चाहिये। इस अन्नदाता किसान का हमें महत्व समझना चाहिये। किसान के हाथों के स्पर्श की गरिमा हमारे जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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फसल नदियों में पानी प्रकाश हवा मिट्टी के तत्वों का परिणाम है या मनुष्य के हाथों के चमत्कार तथा उनके परिश्रम के परिणाम स्वरूप फैलती है मनुष्य के परिश्रम के बिना फसल अपना रूप ग्रहण नहीं कर सकती मनुष्य के हाथों के परिश्रम से ही फसल का उगना और फलना फूलना संभव है इसी कारण कवि ने फसल को मनुष्य की परिश्रम को महत्व दिया है
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