फसल कविता में हाथो के स्पर्श की गरिमा किसे कहा गया है ?(30-40 words)
Answers
फसल के बेहतर रूप में फलने-फूलने एवं बेहतर उत्पादन के लिए मानव श्रम सबसे अधिक आवश्यक हैं |
फसल कविता नागार्जुन (वैद्यनाथ मिश्र ) जी द्वारा लिखी गयी कविता है|
कवि के अनुसार फसल ढेर सारी नदियों के पानी, अनेक लोगो के हाथो के स्पर्श की गरिमा तथा बहुत सारे खेतो की मिटटी के गुण का मिला जुला परिणाम है | अर्थात फसल किसी एक की मेहनत का फल नहीं बल्कि इसमें सभी का योगदान सम्मिलित हैं |
कवि कहना चाहते है कि फसल के लिए भले ही पानी. मिटटी, सूरज की किरणों तथा हवा जैसे तत्वों की आवश्यकता है, परन्तु मनुष्य के परिश्रम के बिना यह सभी साधन व्यर्थ है , यदि मनुष्य भली प्रकार से पानी न सीचें तब तक इन सब साधनो की सफलता नहीं होंगी | मनुष्य फसल के उगने बढ़ने के लिए आवश्यक परिस्थितियों का निर्माण करता है अत: फसल के बेहतर रूप में फलने-फूलने एवं बेहतर उत्पादन के लिए मानव श्रम सबसे अधिक आवश्यक हैं | इसलिए कवि ने फसल को हाथों की गरिमा कहा हैं |
- मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह मिट्टी को नष्ट होने से बचाएं , पानी का सही से उपयोग करें प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग न करे |
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Q.1.- फसल को हाथ उसके आसपास की गरिमा और महिमा का कर कवि क्या व्यक्त करना चाहते हैं? फसल कविता
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Q.2.- फसल' कविता के रचयिता कौन हैं ?
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Q.3.- फसल कविता में कवि ने फसल को' हाथों के स्पर्श की गरिमा 'व 'नदियों के पानी का जादू' क्यों कहा है?
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