Social Sciences, asked by deendayal381, 1 year ago

फ़्रेंच इंडो - चाइना का गठन कब हुआ​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

1887...

hope it will be help ful for u....☺☺☺☺

Answered by brainlyzeba
3

Heya branliy user ! your answer

ans... is 1887

क्लास 10 इतिहास

इंडो चीन का राष्ट्रवाद

शुरुआती इतिहास: आज के वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया को इंडो-चीन का नाम दिया जाता है। इस क्षेत्र के शुरु के इतिहास से पता चलता है कि यहाँ रहने वाले लोग अलग-अलग समूहों में बँटे हुए थे और चीन के शक्तिशाली साम्राज्य की छत्रछाया में रहते थे। स्वतंत्र राष्ट्रों के निर्माण के बाद भी यहाँ के शासक चीन की प्रशासन पद्धति को ही अपनाते रहे और चीन की पुरातन संस्कृति को नहीं भूले। वियतनाम जलमार्ग वाले सिल्क रूट से भी जुड़ा हुआ था जिससे माल, लोग और विचार आयातित होते रहे। व्यापार के दूसरे रास्तों ने इसे अंदर के इलाकों से भी जोड़ा था जहाँ गैर वियतनामी लोग रहते थे; जैसे कि ख्मेर कम्बोडियन।

उपनिवेश का निर्माण: फ्रांस की सेना ने 1858 में वियतनाम में कदम रखा था। 1880 के दशक के मध्य आते-आते पूरे उत्तरी इलाके पर उनका पूरा कब्जा हो गया था। फ्रांस और चीन की लड़ाई के बाद फ्रांस का नियंत्रण टोंकिन और अनम पर भी हो गया। इस तरह से 1887 में फ्रेंच इंडो चीन का निर्माण हुआ।

फ्रांस के लिए उपनिवेश का क्या मतलब था?

यूरोप की कई शक्तियों के लिए उपनिवेश की जरूरत इसलिए थी कि उन्हें प्राकृतिक संसाधनों और अन्य चीजों की मांग को पूरा करना था। इसके अलावा, उपनिवेश फैलाने वाले देशों का ये भी मानना था कि पिछड़े हुए लोगों को सुधारना उन जैसे ‘विकसित’ यूरोपियन की जिम्मेदारी थी।

फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए फ्रांसीसियों ने मेकॉंग डेल्टा की जमीन को सींचने के लिए नहर बनाने शुरु कर दिये। इससे चावल की पैदावार बढ़ाने में काफी मदद मिली। सन 1900 में कुल 274,000 हेक्टेअर जमीन पर चावल की खेती होती थी जो 1930 में बढ़कर 11 लाख हेक्टेअर हो गई। 1931 आते-आते वियतनाम से धान की कुल उपज का दो तिहाई हिस्सा निर्यात होने लगा। इस तरह से वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा धान निर्यातक देश बन गया था।

उसके बाद फ्रांसीसियों ने वहाँ आधारभूत सुविधाओं पर काम करना शुरु किया। सामान और सैनिकों को आसानी से लाने ले जाने के लिए ऐसा करना जरूरी था। इसके लिए एक सकल इंडो चीन रेल तंत्र पर काम शुरु हुआ। चीन में युन्नान से आखिरी रेल लिंक 1910 में बनकर पूरा हुआ। एक दूसरी लाइन बनाई गई जो वियतनाम को सियाम से जोड़ती थी। थाइलैंड का पुराना नाम सियाम है।

क्या उपनिवेशों को विकसित करना चाहिए?

पॉल बर्नार्ड एक जाने माने फ्रांसीसी विचारक थे। उनका मानना था कि वियतनाम के लोगों को ज्यादा खुशहाल बनाने के लिए मूलभूत सुविधाओं का निर्माण जरूरी था। खुशहाल लोग होने से फ्रांस के व्यवसाय के लिए बेहतर बाजार के निर्माण की प्रबल संभावना थी। उन्होंने भू-सुधार की वकालत भी की ताकि खेती से पैदावार बढ़ाई जा सके।

उस दौरान वियतनाम की अर्थव्यवस्था मुख्य रुप से धान और रबर की खेती पर निर्भर करती थी। इन्हीं क्षेत्रों को और सुविधा मुहैया कराने के लिए रेल और बंदरगाहों का निर्माण किया गया। लेकिन वियतनाम की अर्थव्यवस्था के औद्योगिकरण के लिए फ्रांसीसियों ने कुछ भी नहीं किया।

उपनिवेशी शिक्षा पद्धति की दुविधा:

फ्रांसीसी लोग अपने ‘आधुनिक’ यूरोपियन संस्कृति को वियतनाम के लोगों पर थोपना चाहते थे। ऐसा वे वियतनामियों को सुधारने के लिए करना चाहते थे। वे स्थानीय लोगों को इसलिए भी शिक्षित करना चाहते थे ताकि क्लर्की करने के लिए उन्हें कामगार मिल सकें। लेकिन वे अच्छी शिक्षा नहीं देना चाहते थे। उन्हें डर था कि इससे लोगों में जागृति आ जाएगी और फिर उपनिवेशी शासकों के लिए खतरा पैदा होने का डर था। इसलिए वियतनाम के लोगों को फ्रांसीसी शिक्षा का पूरा लाभ उठाने से वंचित रखा गया।

आधुनिक होने का मतलब: वियतनाम के संभ्रांत लोगों पर चीनी संस्कृति का गहरा प्रभाव था। इस प्रभाव को कम करना फ्रांसीसियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से शिक्षा की पुरानी पद्धति को तहस नहस करना शुरु किया और उसकी जगह अपनी शिक्षा पद्धति को जमाना शुरु किया। लेकिन संभ्रांत लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीनी भाषा को उखाड़ फेंकना मुश्किल साबित हो रहा था।

कुछ फ्रांसीसी नीति निर्माता फ्रेच को पढ़ाई का मीडियम बनाना चाहते थे। वे एक ऐसा एशियाई फ्रांस बनाना चाहते थे जिसके तार यूरोप के फ्रांस से मजबूती से जुड़े हुए हों।

कुछ अन्य विचारकों का मानना था कि निचली क्लासों में वियतनामी भाषा पढ़ाई जाए और फ्रेंच भाषा को उँची कक्षाओं में पढ़ाया जाए। जो कोई भी फ्रेंच भाषा और फ्रेंच संस्कृति में महारत हासिल कर लेता था उसके लिए फ्रांस की नागरिकता का भी प्रावधान रखा गया।

लेकिन फ्रेंच क्लास के फाइनल इम्तिहान में छात्रों को जानबूझकर फेल कर दिया जाता था। ऐसा इसलिए किया जाता था ताकि स्थानीय लोग अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियों के लिए आगे न आ पाएँ। स्कूल के टेक्स्ट बुक में फ्रेंच संस्कृति का गुणगान किया जाता था और उपनिवेशी शासन को जायज ठहराया जाता था। इन किताबों में वियतनामी लोगों को पिछड़ा हुआ दिखाया जाता था जो केवल मेहनत मजदूरी करने के लिए ही बने थे।

फ्रांसीसियों के मुताबिक आधुनिक होने का मतलब था पश्चिमी संस्कृति की नकल करना। वियतनामी लोग लंबे बाल रखते थे जबकी छोटे बालों को बढ़ावा दिया जाता था।

स्कूलों में विरोध

शिक्षक और छात्र सिलेबस में लिखी बातों को पूरी तरह नहीं मानते थे। कुछ विरोध खुले तौर पर होते थे तो कुछ चुपचाप। जब निचली क्लासों में वियतनामी शिक्षकों की संख्या बढ़ गई तो जो वास्तव में पढ़ाया जा रहा था उसपर नियंत्रण करना संभव नहीं रह गया था।

वियतनाम में राष्ट्रवाद की भावना को जन्म देने के लिए स्कूल काफी कारगर साबित हो रहे थे। 1920 का दशक आते-आते छात्रों ने राजनैतिक पार्टियाँ बनानी शुरु कर दी और राष्ट्रवादी पत्रिकाएँ भी निकालने लगे। यंग अन्नन पार्टी (एक राजनैतिक पार्टी) और अन्ननीज स्टूडेंट (एक पत्रिका) इसके कुछ उदाहरण हैं।

फ्रेंच शिक्षा और संस्कृति का थोपा जाना उल्टा पड़ने लगा था क्योंकि वियतनाम के बुद्धिजीवी इसे अपनी संस्कृति के लिए खतरा मानते थे।

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