फ़ादर बुलकै का चरित्र वर्णत कीजिए
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फादर कामिल बुल्के एक ऐसा नाम है जो विदेशी होते हुए भी भारतीय है। ... उन 47 वर्षों में उन्होंने भारत के प्रति, हिंदी के प्रति और यहां के साहित्य के प्रति विशेष निष्ठा दिखाई है। उनका व्यक्तित्व दूसरों को तपती धूप में शीतलता प्रदान करने वाला था। उन्होंने सदैव सबके लिए एक बड़े भाई की भूमिका निभाई है।
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फादर बुल्के को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा था, एवं उनसे बात करना कर्म के संकल्प से भर जाने जैसा था। फादर संकल्प से तोह सन्यासी थे परन्तु मन से सन्यासी नहीं थे, वे यदि एक बात किसी से रिश्ता जोड़ लेते तोह हर परिस्थिति में उसे निभाते भी थे।
फादर के मन में सभी के लिए अपार स्नेह था एवं वे सदैव सबको अपने आशिशों से भर देते थे। फादर चरित्र से अत्यंत निर्मल, वात्सल्यपूर्ण एवं दृढ़ संकल्प वाले थे। इसी के साथ वे निर्मल नामक गोष्ठी में बेबाक राय देते, उनके हसीं मज़ाक में निर्लिप्त शामिल रहते तथा उनके घरों के सभी उत्सव व संकारों में बड़े भाई और पुरोहित के रूप में शामिल रहते।