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मैं न कोई कवि हूँ न कोई लेखक मैं हूं अपने प्यार का यार। मेरी कविताएँ है कच्ची और लिखवाट है थोड़ी तिरछी पर अपनी यारी सबसे पक्की। जो मैं लिखाता हू वो गलत हो सकता है पर तेरी मेरी यारी नहीं। मैं सोचता हूं अलग मेरी कलम लिखती है अलग पर यार जो तू सोचता है वही मैं भी सोचता हूं। मै पढ़ाई में हुं थोडा कच्चा पर अपनी यारी है सबसे पक्की। मेरी कलम सोचती है दीमाक से पर तेरी मेरी यारी एक ही सोच है वो दिल से। कलम की INk खातम होती पर अपनी यारी दिन-प्रतिदिन अमर होती जाती है। लिखते लिखते कलम की ।NK खात्म हो जाती है पर अपनी बाते नही लिखने को तो बहुत है पर हमरे पास समय थोड़ा कम है मेरी तरफ से मेरे यार को प्यार
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इसका क्या करना है भाई बताओ जल्दी से
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