for 50 points!!! please provide me with a unique and amazing essay on the topic : हृदय वह देख लेता है जो आँखे नहीं देख पाती।
◆it should be of 1000 words.☺
◆dont copy from net , write own and unique.☺
◆50 points!!!!!!!☺
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कभी कभी ह्रदय वह भी देख लेता है जो आँख देख नहीं पाती है
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ह्रदय !! एक अनमोल , अनोखा और ईश्वर का दिया हुआ अनमोल तोहफा है । पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ आँख, नाक , मुँह , जीभ , त्वचा और लिंग हैं किन्तु ये सभी बेकार हैं यदि हमारे पास ह्रदय न हो । आँख न हो मनुष्य हृदय से देख सकता है पर हृदय न होने से आँख बेकार है। तुलसीदास जी ने सही कहा है।
चितवनि चारु मारु मदहरनी। भावत हृदय जाय नहिं बरनी।।
अथात् -
हृदय एक ऐसी गहरी खाड़ी है जिसकी थाह विचारे जीव को उसमें रहने पर भी कभी-कभी उस भाँति नहीं मिलती जैसे ताल की मछलियाँ दिन रात पानी में बिलबिलाया करती हैं पर उसकी थाह पाने की क्षमता नहीं रखती ।
ह्रदय द्वारा कही गयी , सुनी गयी या फिर समझी हुई बातें का असत्य होना लगभग असंभव हैं । ये हमें प्रेम करना सिखाती है । विभिन्न प्रकार में भेद करना सिखाती है , माता का प्रेम क्या है, या फिर पत्नी का प्रेम क्या है |
ह्रदय वो सारी चीजें देख लेती है जो आखें देख नही पाती । माँ इतनी महान क्यों होती है , माँ को ईश्वर से भी उँचा दर्जा दिया गया है आखिर क्यों ?
क्योंकि वह अपने बच्चे के भाव को परख कर बता देती है उसे क्या चाहिए , क्या जरूरत है। उनके सामने खड़े आपको अपनी आँखों से कुछ पता नही चलेगा माँ ने आखिर समझा कैसे कि मुझे क्या चाहिए क्या नहीं ।
कारण है माँ ह्रदय से आपको चाहती है , आपका ह्रदय माँ को संदेश पहुचाने का काम करता है , वो बता देता है कि आपको क्या चाहिए ?
आपने एक कहानी सुनी होगी कि एक सुन्दर सी राजकुमारी को जानवर (बीस्ट) से प्यार हो जाता है । असल में प्यार का होना केवल सोंदर्य ( आँखों द्वारा देखी गयी) से नही अपितु ह्रदय का मिलन है । राजकुमारी का ह्रदय बीस्ट के ह्रदय को समझ पाता है कि यह बीस्ट नही बल्कि बीस्ट के रुप में राजकुमार है । और अंत में ये सच होता है बीस्ट एक राजकुमार बन जाता है।
राजकुमारी ने अपने ह्रदय से परखा तभी तो उन्हे योग्य राजकुमार प्राप्त हुआ , अगर वो आँखों देखा सच मानती तो शायद वो राजकुमार को प्राप्त न कर पाती , जो उनके योग्य था ।
हम जानते हैं कोई भी काम आप बिना दिमाग लगाये नही कर सकतै हैं पर यदि आप काम में दीमाग के साथ - साथ मन ( ह्रदय) भी लगाते हैं , तो आप तरक्की के उन बुलन्दियों को छू सकते हैं जिसके सपने आप अक्सर खुली आँखों मे देखा करते हैं । आपने सुना होगा अल्बर्ट आइन्स्टाईन के बारे में , वे भौतिकी को छोड़कर किसी विषय को पसंद नही करते थे, भौतिकी को उन्होने अपना जुनून बना लिया था , वो ह्रदय से सच्चे मन से कार्य करते थे । आज उन्हे भौतिकी का पिता माना जाता है।
आपने श्रीनिवासन रामानुजन का नाम तो सुना ही होगा । और आपको उनके बारे में ये भी जानकारी होगी कि वे सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ थे ,उन्हे महान गणितज्ञ , गणित के प्रति चाह ने बनाया । वे को सच्चे हृदय से चाहते थे।
रामकृष्ण परमहंस ने पहली मुलाकात में विवेकानन्द के भविष्य के बारे में में जान गये थे कि ये युवक असाधारण मानव है , उन्होने , विवेकानन्द में वो आत्मबल देखा था जो साधारण व्यक्ति में अक्सर नही पाया जाता । वैसे तो विवेकानन्द जी को अनेकों ने देखा होगा । पर उनके प्रतिभा की परख परमहंस जी ने की ।
आज दूनिया स्वामी विवेकानन्द जी के बताये मार्ग पर चल रही है। युवा के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
ह्रदय की ताकत १००० हाथियों के बल से भी ज्यादा मजबूत होती है । केवल एकदिन दिल ( ह्रदय ) लगाकर पढाई कर देखीये , मुझे विश्नास है आप जिस सिध्दांत कई दिनों से नही समझ पाया , वो आप आसानी से समझेंगे ।
कृष्ण को हृदय से अपना मानने वाली मीराबाई को कौन नही जानता । उनकी कृृष्ण के प्रति असीम भक्ति इस भजन आप महसूस कर सकते हैं मीराबाई के भजन से
" तुम बिन नैण दुखारा म्हारे घर आ प्रीतम प्यारा॥
तन मन धन सब भेंट धरूंगी भजन करूंगी तुम्हारा।
म्हारे घर आ प्रीतम प्यारा॥
तुम गुणवंत सुसाहिब कहिये मोमें औगुण सारा॥
म्हारे घर आ प्रीतम प्यारा॥
मैं निगुणी कछु गुण नहिं जानूं तुम सा बगसणहारा॥
म्हारे घर आ प्रीतम प्यारा॥
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे तुम बिन नैण दुखारा॥
म्हारे घर आ प्रीतम प्यारा॥ "
कहा जाता है कि मीराबाई को ईश्वर दिखते थे ।
मैने तो कभी नही देखा और आपने भी नही देखा होगा । क्योंकि हम ईश्वर से प्रेम तो करते हैं किन्तु मीरा की तरह उन्हे हृदय में नही बल्कि मंदिरों में ढूँढते हैं । ईश्वर के दर्शन केवल हृदय में किया जा सकता है।
ऐसे कई ऊदाहरण हम अपने जीवन में देख सकते हैं, जो हमें यह कहने पर मजबूर कर देती है कि " कभी - कभी ह्रदय वो देख लेता है जहाँ आँखे नही देख पाती है। "
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ह्रदय !! एक अनमोल , अनोखा और ईश्वर का दिया हुआ अनमोल तोहफा है । पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ आँख, नाक , मुँह , जीभ , त्वचा और लिंग हैं किन्तु ये सभी बेकार हैं यदि हमारे पास ह्रदय न हो । आँख न हो मनुष्य हृदय से देख सकता है पर हृदय न होने से आँख बेकार है। तुलसीदास जी ने सही कहा है।
चितवनि चारु मारु मदहरनी। भावत हृदय जाय नहिं बरनी।।
अथात् -
हृदय एक ऐसी गहरी खाड़ी है जिसकी थाह विचारे जीव को उसमें रहने पर भी कभी-कभी उस भाँति नहीं मिलती जैसे ताल की मछलियाँ दिन रात पानी में बिलबिलाया करती हैं पर उसकी थाह पाने की क्षमता नहीं रखती ।
ह्रदय द्वारा कही गयी , सुनी गयी या फिर समझी हुई बातें का असत्य होना लगभग असंभव हैं । ये हमें प्रेम करना सिखाती है । विभिन्न प्रकार में भेद करना सिखाती है , माता का प्रेम क्या है, या फिर पत्नी का प्रेम क्या है |
ह्रदय वो सारी चीजें देख लेती है जो आखें देख नही पाती । माँ इतनी महान क्यों होती है , माँ को ईश्वर से भी उँचा दर्जा दिया गया है आखिर क्यों ?
क्योंकि वह अपने बच्चे के भाव को परख कर बता देती है उसे क्या चाहिए , क्या जरूरत है। उनके सामने खड़े आपको अपनी आँखों से कुछ पता नही चलेगा माँ ने आखिर समझा कैसे कि मुझे क्या चाहिए क्या नहीं ।
कारण है माँ ह्रदय से आपको चाहती है , आपका ह्रदय माँ को संदेश पहुचाने का काम करता है , वो बता देता है कि आपको क्या चाहिए ?
आपने एक कहानी सुनी होगी कि एक सुन्दर सी राजकुमारी को जानवर (बीस्ट) से प्यार हो जाता है । असल में प्यार का होना केवल सोंदर्य ( आँखों द्वारा देखी गयी) से नही अपितु ह्रदय का मिलन है । राजकुमारी का ह्रदय बीस्ट के ह्रदय को समझ पाता है कि यह बीस्ट नही बल्कि बीस्ट के रुप में राजकुमार है । और अंत में ये सच होता है बीस्ट एक राजकुमार बन जाता है।
राजकुमारी ने अपने ह्रदय से परखा तभी तो उन्हे योग्य राजकुमार प्राप्त हुआ , अगर वो आँखों देखा सच मानती तो शायद वो राजकुमार को प्राप्त न कर पाती , जो उनके योग्य था ।
हम जानते हैं कोई भी काम आप बिना दिमाग लगाये नही कर सकतै हैं पर यदि आप काम में दीमाग के साथ - साथ मन ( ह्रदय) भी लगाते हैं , तो आप तरक्की के उन बुलन्दियों को छू सकते हैं जिसके सपने आप अक्सर खुली आँखों मे देखा करते हैं । आपने सुना होगा अल्बर्ट आइन्स्टाईन के बारे में , वे भौतिकी को छोड़कर किसी विषय को पसंद नही करते थे, भौतिकी को उन्होने अपना जुनून बना लिया था , वो ह्रदय से सच्चे मन से कार्य करते थे । आज उन्हे भौतिकी का पिता माना जाता है।
आपने श्रीनिवासन रामानुजन का नाम तो सुना ही होगा । और आपको उनके बारे में ये भी जानकारी होगी कि वे सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ थे ,उन्हे महान गणितज्ञ , गणित के प्रति चाह ने बनाया । वे को सच्चे हृदय से चाहते थे।
रामकृष्ण परमहंस ने पहली मुलाकात में विवेकानन्द के भविष्य के बारे में में जान गये थे कि ये युवक असाधारण मानव है , उन्होने , विवेकानन्द में वो आत्मबल देखा था जो साधारण व्यक्ति में अक्सर नही पाया जाता । वैसे तो विवेकानन्द जी को अनेकों ने देखा होगा । पर उनके प्रतिभा की परख परमहंस जी ने की ।
आज दूनिया स्वामी विवेकानन्द जी के बताये मार्ग पर चल रही है। युवा के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
ह्रदय की ताकत १००० हाथियों के बल से भी ज्यादा मजबूत होती है । केवल एकदिन दिल ( ह्रदय ) लगाकर पढाई कर देखीये , मुझे विश्नास है आप जिस सिध्दांत कई दिनों से नही समझ पाया , वो आप आसानी से समझेंगे ।
कृष्ण को हृदय से अपना मानने वाली मीराबाई को कौन नही जानता । उनकी कृृष्ण के प्रति असीम भक्ति इस भजन आप महसूस कर सकते हैं मीराबाई के भजन से
" तुम बिन नैण दुखारा म्हारे घर आ प्रीतम प्यारा॥
तन मन धन सब भेंट धरूंगी भजन करूंगी तुम्हारा।
म्हारे घर आ प्रीतम प्यारा॥
तुम गुणवंत सुसाहिब कहिये मोमें औगुण सारा॥
म्हारे घर आ प्रीतम प्यारा॥
मैं निगुणी कछु गुण नहिं जानूं तुम सा बगसणहारा॥
म्हारे घर आ प्रीतम प्यारा॥
मीरा कहै प्रभु कब रे मिलोगे तुम बिन नैण दुखारा॥
म्हारे घर आ प्रीतम प्यारा॥ "
कहा जाता है कि मीराबाई को ईश्वर दिखते थे ।
मैने तो कभी नही देखा और आपने भी नही देखा होगा । क्योंकि हम ईश्वर से प्रेम तो करते हैं किन्तु मीरा की तरह उन्हे हृदय में नही बल्कि मंदिरों में ढूँढते हैं । ईश्वर के दर्शन केवल हृदय में किया जा सकता है।
ऐसे कई ऊदाहरण हम अपने जीवन में देख सकते हैं, जो हमें यह कहने पर मजबूर कर देती है कि " कभी - कभी ह्रदय वो देख लेता है जहाँ आँखे नही देख पाती है। "
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duragpalsingh:
Wow.
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नमस्ते दोस्त,
यहां इसका उत्तर है-
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"कभी-कभी हृदय यह देखता है कि आंखें क्या नहीं"
यह उद्धरण एच। जेक्सन ब्राउन द्वारा निर्मित किया गया था यह वास्तव में क्या मतलब है?
क्या हम आँखों से सब कुछ देख सकते हैं? नहीं, हम नहीं कर सकते, हमारी आंखों से सब कुछ नहीं देखा जा सकता है, वे हमारे अंदर के दिल से देख सकते हैं। आंखें दिखाते हैं कि आभासी क्या है, क्या वास्तविक हो सकता है या नहीं, हमारे पीछे क्या हो रहा है लेकिन दिल उन चीजों को देखता है जो हमें नहीं दिखाए जाते हैं, दिल उस व्यक्ति की उन भावनाओं को देखता है जो व्यक्ति कभी नहीं दिखा सकता है
आंखें दयालुता और किसी व्यक्ति की कड़ी मेहनत को नहीं देख सकते हैं। आँखें किसी व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं को नहीं देख सकता। आंखें वास्तव में नहीं देख सकते हैं कि एक व्यक्ति कहां चाहता है, लेकिन कहने में सक्षम नहीं है। यह केवल दिल से ही देखा जाता है, हृदय किसी व्यक्ति की गहरी भावनाओं को देखता है, हृदय दिल से जुड़ा होता है, आँखें सिर्फ दुनिया से जुड़ी होती हैं, परिवेश में। हमारी आँखें मस्तिष्क के साथ काम करती है, आंखें क्या देखते हैं, हम मानते हैं, लेकिन दिल भावनाओं से जुड़ा हुआ है।
हम सभी कहते हैं कि ईश्वर है, ईश्वर है! भगवान हैं, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वह नहीं है, लेकिन हमने उसे नहीं देखा, क्या हमने किया? नहीं, लेकिन हम अभी भी उससे प्रार्थना करते हैं, हम अभी भी मंदिरों, चर्चों, मस्जिदों, गुरुद्वारों में जाते हैं, क्यों? क्योंकि हमारा दिल कहता है, हमारा दिल मानता है कि भगवान वहां मौजूद हैं। और अगर हम वास्तव में उससे प्रार्थना करते हैं, तो हम ईश्वर देखेंगे, क्योंकि दिल किसी चीज को देख सकता है जो आँखें नहीं कर सकते।
दोस्ती क्या है, प्यार क्या है, देखभाल क्या है, संबंध क्या है? क्या आपने कभी ये भावनाएं देखी? क्या आप इन भावनाओं को एक्सडी के चारों ओर घूमते देखते हैं, नहीं, हम नहीं करते, लेकिन फिर भी हम उन्हें हमारे पास रखते हैं, हम अभी भी जानते हैं कि वे क्या हैं, वे भावनाएं हैं जिन्हें केवल महसूस किया जा सकता है और यह केवल दिल से ही आंखों से नहीं किया जा सकता है।
मैं आपको एक विषय के माध्यम से इस विषय पर एक उदाहरण देता हूँ!
एक बार एक समय पर एक लड़का समर था, वह एक खुशहाल आदमी था और हमेशा खुश था, एक बार अपने पिता को एक दुर्घटना के साथ मुलाकात हुई और उसके बाद उसके पिता को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसने अपने सारे पैसे अपने पिता पर बिताए, पैसा नहीं उसके साथ छोड़ दिया, वह अब गरीब था, फिर भी उसने सभी को दिखाया कि वह खुश था।
फिर एक बार जब वह अस्पताल से घर आ रहा था, दरवाजे के बाहर निकलने पर, समर दु: खी हो गया, उस आदमी ने उससे पूछा, समर ने नहीं बताया और कहा कि कुछ नहीं हुआ है, बस कुछ तनाव। आदमी अपनी समस्याओं को समझ गया और समझ गया कि वह बड़ी मुश्किल में था। उसने उसे बुलाया, और कहा कि वह जानता था कि क्या मामला है और समर भावनाओं को समझता है, समर आँसू में फंस जाता है, आदमी ने उसे सहज बनाया और पूरे मामले से पूछा, जैसा कि समर ने बताया कि आदमी अमीर था और उसने 1 लाख रुपए के साथ दान किया, समर अब खुश था और उसके पिता अच्छे थे।
उपरोक्त कहानी से, क्या आदमी ने देखा कि समस्या क्या थी? नहीं, वह समर भावनाओं को समझते हैं वह अपनी समस्याओं को दिल से समझता है
जिनके पास एक अच्छा दिल है, वह उसकी भावनाओं को बहुत अच्छी तरह से समझ सकता है। आँखें हर चीज को नहीं देख सकती हैं, दिल सिर्फ एक अंग नहीं है, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है, सिर्फ खून की आपूर्ति करने के लिए नहीं, किसी को भी प्यार करने के लिए, किसी को समझना, किसी भावना को समझना
किसी भावना को समझने और किसी की ज़रूरत में मदद करने के लिए हमें दिल चाहिए।
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#Love_Someone_With_A_Good_Heart
#Be_Brainly।
निकी !!
आशा करता हूँ की ये काम करेगा...!!!
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यहां इसका उत्तर है-
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"कभी-कभी हृदय यह देखता है कि आंखें क्या नहीं"
यह उद्धरण एच। जेक्सन ब्राउन द्वारा निर्मित किया गया था यह वास्तव में क्या मतलब है?
क्या हम आँखों से सब कुछ देख सकते हैं? नहीं, हम नहीं कर सकते, हमारी आंखों से सब कुछ नहीं देखा जा सकता है, वे हमारे अंदर के दिल से देख सकते हैं। आंखें दिखाते हैं कि आभासी क्या है, क्या वास्तविक हो सकता है या नहीं, हमारे पीछे क्या हो रहा है लेकिन दिल उन चीजों को देखता है जो हमें नहीं दिखाए जाते हैं, दिल उस व्यक्ति की उन भावनाओं को देखता है जो व्यक्ति कभी नहीं दिखा सकता है
आंखें दयालुता और किसी व्यक्ति की कड़ी मेहनत को नहीं देख सकते हैं। आँखें किसी व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं को नहीं देख सकता। आंखें वास्तव में नहीं देख सकते हैं कि एक व्यक्ति कहां चाहता है, लेकिन कहने में सक्षम नहीं है। यह केवल दिल से ही देखा जाता है, हृदय किसी व्यक्ति की गहरी भावनाओं को देखता है, हृदय दिल से जुड़ा होता है, आँखें सिर्फ दुनिया से जुड़ी होती हैं, परिवेश में। हमारी आँखें मस्तिष्क के साथ काम करती है, आंखें क्या देखते हैं, हम मानते हैं, लेकिन दिल भावनाओं से जुड़ा हुआ है।
हम सभी कहते हैं कि ईश्वर है, ईश्वर है! भगवान हैं, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि वह नहीं है, लेकिन हमने उसे नहीं देखा, क्या हमने किया? नहीं, लेकिन हम अभी भी उससे प्रार्थना करते हैं, हम अभी भी मंदिरों, चर्चों, मस्जिदों, गुरुद्वारों में जाते हैं, क्यों? क्योंकि हमारा दिल कहता है, हमारा दिल मानता है कि भगवान वहां मौजूद हैं। और अगर हम वास्तव में उससे प्रार्थना करते हैं, तो हम ईश्वर देखेंगे, क्योंकि दिल किसी चीज को देख सकता है जो आँखें नहीं कर सकते।
दोस्ती क्या है, प्यार क्या है, देखभाल क्या है, संबंध क्या है? क्या आपने कभी ये भावनाएं देखी? क्या आप इन भावनाओं को एक्सडी के चारों ओर घूमते देखते हैं, नहीं, हम नहीं करते, लेकिन फिर भी हम उन्हें हमारे पास रखते हैं, हम अभी भी जानते हैं कि वे क्या हैं, वे भावनाएं हैं जिन्हें केवल महसूस किया जा सकता है और यह केवल दिल से ही आंखों से नहीं किया जा सकता है।
मैं आपको एक विषय के माध्यम से इस विषय पर एक उदाहरण देता हूँ!
एक बार एक समय पर एक लड़का समर था, वह एक खुशहाल आदमी था और हमेशा खुश था, एक बार अपने पिता को एक दुर्घटना के साथ मुलाकात हुई और उसके बाद उसके पिता को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसने अपने सारे पैसे अपने पिता पर बिताए, पैसा नहीं उसके साथ छोड़ दिया, वह अब गरीब था, फिर भी उसने सभी को दिखाया कि वह खुश था।
फिर एक बार जब वह अस्पताल से घर आ रहा था, दरवाजे के बाहर निकलने पर, समर दु: खी हो गया, उस आदमी ने उससे पूछा, समर ने नहीं बताया और कहा कि कुछ नहीं हुआ है, बस कुछ तनाव। आदमी अपनी समस्याओं को समझ गया और समझ गया कि वह बड़ी मुश्किल में था। उसने उसे बुलाया, और कहा कि वह जानता था कि क्या मामला है और समर भावनाओं को समझता है, समर आँसू में फंस जाता है, आदमी ने उसे सहज बनाया और पूरे मामले से पूछा, जैसा कि समर ने बताया कि आदमी अमीर था और उसने 1 लाख रुपए के साथ दान किया, समर अब खुश था और उसके पिता अच्छे थे।
उपरोक्त कहानी से, क्या आदमी ने देखा कि समस्या क्या थी? नहीं, वह समर भावनाओं को समझते हैं वह अपनी समस्याओं को दिल से समझता है
जिनके पास एक अच्छा दिल है, वह उसकी भावनाओं को बहुत अच्छी तरह से समझ सकता है। आँखें हर चीज को नहीं देख सकती हैं, दिल सिर्फ एक अंग नहीं है, यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है, सिर्फ खून की आपूर्ति करने के लिए नहीं, किसी को भी प्यार करने के लिए, किसी को समझना, किसी भावना को समझना
किसी भावना को समझने और किसी की ज़रूरत में मदद करने के लिए हमें दिल चाहिए।
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#Love_Someone_With_A_Good_Heart
#Be_Brainly।
निकी !!
आशा करता हूँ की ये काम करेगा...!!!
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