Hindi, asked by preenticaiezo, 1 year ago

Full poem by harivansh rai bachaan 'bhool gaya hai kyun insaan

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Answered by Anonymous
86
भूल गया हैं क्यों इनसान भूल गया हैं क्यों इनसान ! सबकी है मिट्टी की काया सब पर नभ की निर्मल छाया यहाँ नहीं कोई आया है ले विशेष वरदान भूल गया हैं क्यों इनसान ! धरती ने मानव उपजाए मानव ने ही देश बनाए बहु देशों में बसी हुई है एक धरा संतान भूल गया हैं क्यों इनसान ! देश अलग है देश अलग हो वेश अलग है वेश अलग हो मानव का मानव से लेकिन अलग न अंतर-प्राण भूल गया हैं क्यों इनसान !
Answered by uttam840
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भूल गया है क्यों इंसान

सबकी है मिट्टी की काया,

सब पर नभ की निर्मम छाया,

यहाँ नहीं कोई आया है ले विशेष वरदान।

भूल गया है क्यों इंसान!

धरनी ने मानव उपजाये,

मानव ने ही देश बनाये,

बहु देशों में बसी हुई है एक धरा-संतान।

भूल गया है क्यों इंसान!

देश अलग हैं, देश अलग हों,

वेश अलग हैं, वेश अलग हों,

रंग-रूप निःशेष अलग हों,

मानव का मानव से लेकिन अलग न अंतर-प्राण।

भूल गया है क्यों इंसान!

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