Full summary of एक कुत्ता आैर एक मैंना
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“एक कुत्ता और एक मैना” पाठ हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखा गया एक निबंध है। इस निबंध में उन्होंने गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के साथ हुए अपने संस्मरण को प्रस्तुत किया है और उनके साथ हुये वार्तालाप के माध्यम से उन्होंने गुरुदेव रविनाथ टैगोर के व्यक्तित्व को उजागर किया है। पशु पक्षियों के प्रति गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के मन में कितनी संवेदनशीलता थी, इस बात को लेखक ने गहराई से प्रस्तुत किया है। यह पाठ में पशु पक्षियों के प्रति दया और संवेदनशीलता अपनाने की सीख देता है। पाठ का सार कुछ इस प्रकार है ..
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का स्वास्थ्य खराब हो गया तो उन्होंने अपने शांति निकेतन निकेतन आश्रम को छोड़कर कुछ दिन अपने पैतृक मकान में आराम से गुजारने की निर्णय लिया। यहीं पर लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी से उनकी मुलाकात हुई। जब वह जब लेखक से बातें कर रहे थे तभी टैगोर जी का पालतू कुत्ता आकर उनके पास बैठ गया और गुरुदेव ने प्रेम पूर्वक कुत्ते के सिर पर हाथ फेरा और उसी समय कुत्ते पर एक कविता की रचना की। गुरुदेव ने बताया कि यह कुत्ता उनका स्पर्श पाकर आनंद का अनुभव करता है। जब गुरुदेव का देहांत हो गया तो भी वह कुत्ता उनकी चिता तक गया और शांत भाव से मौन होकर बैठा रहा। इसी तरह एक मैना परिवार भी उनके घर में अपना घोंसला बना ही लेता था। उन्होंने कई बार मैना परिवार को हटाने की कोशिश की। लेकिन वो घर को छोड़कर नही जाते थे। इस तरह लेखक ने पाठ में जानवरों के प्रेम और संवेदनशीलता के दर्शन करायें है।