Hindi, asked by canushfairalika, 1 year ago

Full summary of एक कुत्ता आैर एक मैंना

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Answered by yes46
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एक कुत्ता और एक मैना में कवि ने रविंद्रनाथ नाथ की सहजता, स्वभाव की विराटता और संवेदनशीलता का जो परिचय दिया है वह बहुत ही सुंदर है। वह पशु-पक्षियों के जीवन का सूक्ष्म निरीक्षण करने में कितने पारखी थे इस पाठ से ज्ञात होता है। यह पाठ निंबध शैली में लिखा गया है। इसमें कवि ने एक कुत्ते व एक मैना के माध्यम से पशु-पक्षियों के प्रति मानवीय प्रेम व स्नेह व उसके साथ ही पशु-पक्षियों से मिलने वाले भक्ति, प्रेम व करुणा का बड़ा मनोहारी वर्णन किया है। यह निबंध हमें शिक्षा देता है की हमें जीव-जन्तुओं से प्रेम व स्नेह करना चाहिए। उनसे इसके बदलते में निस्वार्थ प्रेम व स्नेह ही मिलता है।
Answered by shishir303
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“एक कुत्ता और एक मैना” पाठ हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखा गया एक निबंध है। इस निबंध में उन्होंने गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के साथ हुए अपने संस्मरण को प्रस्तुत किया है और उनके साथ हुये वार्तालाप के माध्यम से उन्होंने गुरुदेव रविनाथ टैगोर के व्यक्तित्व को उजागर किया है। पशु पक्षियों के प्रति गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के मन में कितनी संवेदनशीलता थी, इस बात को लेखक ने गहराई से प्रस्तुत किया है। यह पाठ में पशु पक्षियों के प्रति दया और संवेदनशीलता अपनाने की सीख देता है। पाठ का सार कुछ इस प्रकार है ..

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का स्वास्थ्य खराब हो गया तो उन्होंने अपने शांति निकेतन निकेतन आश्रम को छोड़कर कुछ दिन अपने पैतृक मकान में आराम से गुजारने की निर्णय लिया। यहीं पर लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी से उनकी मुलाकात हुई। जब वह जब लेखक से बातें कर रहे थे तभी टैगोर जी का पालतू कुत्ता आकर उनके पास बैठ गया और गुरुदेव ने प्रेम पूर्वक कुत्ते के सिर पर हाथ फेरा और उसी समय कुत्ते पर एक कविता की रचना की। गुरुदेव ने बताया कि यह कुत्ता उनका स्पर्श पाकर आनंद का अनुभव करता है। जब गुरुदेव का देहांत हो गया तो भी वह कुत्ता उनकी चिता तक गया और शांत भाव से मौन होकर बैठा रहा। इसी तरह एक मैना परिवार भी उनके घर में अपना घोंसला बना ही लेता था। उन्होंने कई बार मैना परिवार को हटाने की कोशिश की। लेकिन वो घर को छोड़कर नही जाते थे। इस तरह लेखक ने पाठ में जानवरों के प्रेम और संवेदनशीलता के दर्शन करायें है।

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