Full Summary of Sanchayan chapter-1 'Harihar Kaka'
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हरिहर काका का सारांश
मिथिलेश्वर’ द्वारा लिखित ‘हरिहर काका’ नामक कहानी से लिया गया है।
हरिहर काका कहानी बताया गया है, कि जीवन में रिश्ते नाते केवल पैसों पर ही टिके होते है। व्यक्ति को कभी भी अपनी सम्पत्ति अपने जीते जी अपनी संतान के नाम नहीं करनी चाहिए।
हरिहर काका के चार भाई हैं। सभी विवाहित हैं। उनके बच्चे भी बड़े हैं। हरिहर काका निःसंतान हैं। वह अपने भाइयों के परिवार के साथ ही रहते हैं। भाइयों ने अपनी पत्नियों को हरिहर काका की अच्छी प्रकार सेवा करने के लिए कहा है। कुछ समय तक तो वे भली-भाँति उनकी सेवा करती रहीं, परंतु बाद में न कर सकीं। एक समय ऐसा आया जब घर में कोई उन्हें पानी देने वाला भी नहीं था। बचा हुआ भोजन उनकी थाली में परासेा जाने लगा।
यह सब अन्याय देख उन्हें बहुत दुःख होता था |
ठाकुरबारी के पुजारी उस समय मंदिर के कार्य के लिए दालान में ही उपस्थित थे। उन्होंने मंदिर पहुँचकर इस घटना की सूचना महंत को दी। महंत ने इसे शुभ संकेत समझा और सारे लोग हरिहर काका के घर की तरफ निकल पड़े। महंत काका को समझाकर ठावुफरबारी ले आए। उन्होंने संसार की निदा शुरू कर दी और दुनिया को स्वार्थी कहने लगे तथा ईश्वर की महिमा का गुणगान करने लगे। महंत ने हरिहर काका को समझाया कि अपनी ज़मीन मंदिर के नाम लिख दो जिससे तुम्हें बैकुठ की प्राप्ति होगी तथा लोग तुम्हें हमेशा याद करेंगे। हरिहर काका उनकी बातें ध्यान से सुनते रहे और उनके परिवार वाले सभी बहुत दुखी हो गए|
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हरिहर काका' कहानी के आधार पर बताए की एक महंत से समाज की क्या अपेक्षा होती है उक्त कहानी में महंतों की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए . उत्तर लगबग १५० शब्दों में दीजिए?