Full Vyakhya of Kaidi aur Kokila poem class ninth hindi
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कैदी और कोकिला कविता की व्याख्या:
कैदी और कोकिला माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखी गई है।
माखनलाल चतुर्वेदी ने कविता में पराधीन भारत अथवा अंग्रेजो के द्वारा भारतीयों के साथ व्यवहार और भारत की जेलों की दुर्दशा का वर्णन किया है। जेल में कोयल और अपनी वार्तालाप का वर्णन किया है|
जब जेल में कोयल आधी रात में चीखती हुई और गाती हुई नजर आती है| तब कवि के मन में बहुत से सवाल आते है , क्या कोई अच्छा संदेश लेकर आई हो| कवि कोयल से पूछने लगते है तुम क्या गा रही हो? गाते-गाते चुप क्यों हो जाती हो| मुझे बताओ ? क्या मेरे लिए कोई संदेश लाई हो|
जेल में रह रहे स्वतंत्रता सेनानी कैदी के साथ जेल में हो रहे अत्याचार के बारे में बताता है , यहाँ अपमानित होकर , डाकू , चोरों , लुटरों के साथ रहना पड़ता है| पेट भर कर खाना नहीं दिया जाता है| न जीने दया जाता है और न ही मरने दिया जाता है| कैदियों की आज़ादी को छीनकर रात-दिन का कड़ा पहरा दिया जाता है|
जेल कैद कैदियों का हल कोयल भी पता था , कोयल उनकी आवाज़ में दर्द महसूस करती हो| कैदी कोयल से पूछते है , तुम्हें क्या हुआ है ? तुम क्यों दुखी हो? तुम पर कोन सा फाड़ टूट पड़ा है| तुम अपनी आवाज़ से मुझे क्या बताना चाहती हो| कवि को अचानक लगता है कि कोयल भी उन्हें कैद देखकर चीख पड़ी है| यह हेम ब्रिटिश सरकार द्वारा दिया हुआ गहना है| उनके इतने अत्याचार करने के बाद भी हम हार नहीं मानेंगे | कोयल से बाते करते हुए कहते है हे कोयल ये समय मधुर गीत गाने का नहीं है , ये समय आज़ादी , मुक्ति के गीत गाने का है| कवि को जेल में एहसास होता है, कि कोयल भी पूरे देश को जेल के रूप में देखने लगी है | कवि को ऐसा लगता है कि कोयल देश हित की पीड़ा को समझेगी और देश भक्ति और मुक्ति के गीत गाकर लोगों को जागृति करेगी|