Physics, asked by SatydevPrasad, 10 months ago

गुब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुदेवा महेश्वरः।
गुरु:साक्षात् परब्रह्मा ती श्रीमुख नमः ।।1।।​

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Answered by burhaanIK
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I think it's not physics.

Answered by CᴀɴᴅʏCʀᴜsʜ
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गुब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुदेवा महेश्वरः।

गुरु:साक्षात् परब्रह्मा ती श्रीमुख नमः ।।1।।

इस श्लोक के उद्धरण में एकाधिक त्रुटियां देखी जा सकती हैं । प्रथम तो यह है कि ‘महेश्वरा’ के स्थान पर ‘महेश्वरः’ होना चाहिए । दूसरा ‘साक्षात’ को हलंत अर्थात् ‘साक्षात्’ होना चाहिए । पद्यरचना के संस्कृत भाषा के नियमों के अनुसार छंदों (श्लोकों) में पदों (शब्दों) को परस्पर संधि करके लिखना अनिवार्य है । उक्त श्लोक में कुछ स्थलों पर ‘विसर्ग’ का ‘र्’ होकर अगले पद के साथ संधि होनी चाहिए । यह तीसरी त्रुटि समझी जानी चाहिए । इसके अतिरिक्त मेरे मत में ‘श्री गुरुवे’ सामासिक पद के रूप में अर्थात् ‘श्रीगुरवे’ लिखा जाना चाहिए; गुरुवे नहीं गुरवे। परब्रह्मा के स्थान पर परब्रह्म होना चाहिए । इन त्रुटियों के निवारण के बाद सही श्लोक यों लिखा जाना चाहिए:

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