Hindi, asked by sethprathamesh2366, 11 months ago

(ग) छाया भी कब छाया को ढूँढ़ने लगती है? 'बीहारी' के दोहे के आधार पर उत्तर दीजिए I

Answers

Answered by anujdiwakr334
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Answer:

: उसे अपने संदेशवाहक पर बहुत विश्वास है। उसे पता ...

Explanation:

छाया ढ़ूँढ़ने लगती है।

बिहारी की नायिका यह क्यों कहती है ‘कहिहै सबु तेरौ हियौ, मेरे हिय की बात’ – स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: उसे अपने संदेशवाहक पर बहुत विश्वास है। उसे पता है कि उसका संदेशवाहक पूरी इमानदारी से उसका संदेश पहुँचाएगा। साथ में उसे लगता है कि संदेश लिखने के लिए कागज छोटा पड़ जाएगा। उसे अपना संदेश बोलने में शर्म भी आती है। इसलिए वह अपने संदेशवाहक से ऐसा कहती है।

सच्चे मन में राम बसते हैं – दोहे के संदर्भानुसार स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस दोहे में कहा गया है कि झूठमूठ के आडंबर से कोई फायदा नहीं होता है। लेकिन यदि सच्चे मन से पूजा की जाए तो फिर भगवान अवश्य मिल जाते

Answered by shishir303
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छाया भी छाया को तब ढूंढने लगती है, जब जेठ माह की भरी दुपहरी होती है और प्रचंड गर्मी अपने उफान पर होती है। सूर्य एकदम सिर पर आ चमकता है, तब छाया छोटी होती चली जाती है और ऐसे में छाया ही अपनी छाया को ढूंढने लगती है। इसलिए कवि बिहारी का कहना है कि जेठ माह की प्रचंड गर्मी वाली दोपहरी सूर्य की तेज धूप में छाया भी अपनी छाया को ढूंढने लगती है।

कवि बिहारी कहते हैं, तब भीषण गर्मी में आम जंगल भी तपोवन की तरह हो जाता है। जिस तरह तपोवन में लोग बिना किसी राग एवं द्वेष के मिल-जुलकर रहते हैं, उसी तरह भीषण गर्मी में जंगल के जानवर का हाल भी बेहाल है, और वे आपसी द्वेष को बुलाकर एक जगह बैठे हैं। यहां पर हिरण और बाघ एक साथ बैठे हैं, सांप एवं मोर एक साथ बैठे हैं।

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