Hindi, asked by javed21, 1 year ago

गागर रीति का क्या अभिप्राय है

Answers

Answered by tripathiakshita48
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Answer:

कवि जयशंकर प्रसाद भौंरे के माध्यम से अपनी कथा का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि हे मन रूपी भौंरे ! गुन – गुनाकर अपनी कौन – सी कहानी कह रहा है ? कहने का तात्पर्य यह है कि जिस तरह से एक भौंरा फूलों के आसपास गुंजार करते हुए मंड़राता फिरता हैं। ठीक उसी प्रकार आज कवि का मन रूपी भँवरा भी अतीत की यादों के आसपास गुन – गुना कर गुंजार करते हुए न जाने अपनी कौन सी कहानी कहना चाह रहा है। कवि आगे कहते हैं कि उनका जीवन रूपी वृक्ष जो कभी सुख व आनंद रुपी पत्तियों से हरा भरा था। अब वो सभी पत्तियों मुरझा कर एक – एक करके गिर रही हैं। क्योंकि आज कवि के जीवन की परिस्थितियां बदल चुकी है। उनके जीवन में सुख की जगह दुख और निराशा ने ले ली है। और कवि इस वक्त अपने जीवन रूपी वृक्ष में पतझड़ का सामना कर रहे हैं। 

Explanation:

हिंदी साहित्य रूपी इस विशाल विस्तार वाले आकाश में न जाने कितने महान् पुरुषों अर्थात लेखकों के जीवन का इतिहास उनकी आत्मकथा के रूप में मौजूद हैं। उन्हें पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि वह स्वयं अपना मजाक उड़वाते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि लोग इन महान लेखकों की आत्मकथा को पढ़कर उनकी कमियों का मजाक बनाते हैं।इस कड़वे सत्य को जानते हुए भी कि प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे की दुर्बलताओं और कमजोरियों का मजाक बनाने में लगा है। फिर भी मित्रों तुम मुझसे यह कहते हो कि मेरे जीवन में जो कमियाँ हैं , जो मेरे साथ घटित हुआ है , उसे मैं सबके सामने कह डालूँ। फिर कवि अपने दोस्तों से पूछते हैं कि क्या तुम मेरी कहानी को सुनकर सुख प्राप्त कर सकोगे ? मेरा जीवन रूपी घड़ा एकदम खाली है , जिसमें कोई भाव नहीं है। कवि आगे कहते हैं कि अगर मैंने अपनी आत्मकथा में कुछ ऐसा लिख दिया जिसे पढ़कर तुम कही ऐसा न समझो कि मेरे जीवन रूपी गागर (घड़े)  में जो सुख , खुशियों और आनंद रूपी रस थे । वो सभी तुमने ही खाली किये हैं। और उन सभी रसों को मेरे जीवन रूपी गागर  (घड़े) से लेकर तुमने अपने जीवन रूपी गागर  (घड़े) में भर लिया हों। और मेरा जीवन दुखों से भर दिया हो।

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#SPJ5

Answered by sadiaanam
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Answer: गागर रीति के मध्यम से कवी कहना चाहते है की उनकी वेदनाओ से भरी जिन्दगी में  प्राप्ति का स्थान रीति है। वेदनाओ की अनुभूति अवश्य हुई है प्रणतू सुख शन्ति की प्राप्ति नहीं  हुई अर्थात उन्के अनुभवो का जीवन रुपी घड़ा खली है।

Explanation:

गागर रीति के मध्यम से कवी कहना चाहते है की उनकी वेदनाओ से भरी जिन्दगी में  प्राप्ति का स्थान रीति है। वेदनाओ की अनुभूति अवश्य हुई है प्रणतू सुख शन्ति की प्राप्ति नहीं  हुई अर्थात उन्के अनुभवो का जीवन रुपी घड़ा खली है।

कवि को अपनी गागर अर्थात् जीवन इसलिए रीती (सूना) या खाली सा लगता है क्योंकि उसे लगता है कि उसे जीवन में कोई विशेष उपलब्धि हासिल न हो सकी। उसकी पत्नी की असामयिक मृत्यु हो जाने से उसने जिस सुख की कल्पना की थी, वह उसके पास आकर भी मात्र स्वप्न बनकर रह गया।

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#SPJ1

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