गुजराती की वर्णमाला में कितने अक्षर होते हैं
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गुजरात में वर्णमाला अब कबूतर के ‘क’ से नहीं गणेश के ‘ग’ से शुरू होती
अहमदाबाद. वर्णमाला यानी क से कबूतर ख से खरगोश, लेकिन बदलते समय के साथ इसमें भी बदलाव आते गया। गुजरात में अब वर्णमाला की शुरुआत गणेश के ग से की जा रही है। सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को यही वर्णमाला पढ़ाई जा रही है। 1997 में गुजरात काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (जीसीईआरटीए) ने नई पहल की थी। इसके तहत सालों से चले आ रहे वर्णमाला पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अन्य राज्यों के भाषाविद् से परामर्श के बाद सरकार ने इस बदलाव पर सहमति जताई थी। यह निर्णय भले ही 20 सालों बाद यहां अमल में लाया गया लेकिन ज्यादातर शिक्षक पुरातन प्रक्रिया को ही चला रहे थे।
मूल अक्षरों का क्रम इसलिए बदला गया
- सरकारी स्कूलों में पढ़न वाले बच्चों को सीध कक्षा-1 में प्रवेश दिया जाता है। जिसके कारण उन्हें क ख ग पढ़न में दिक्कत होती है।
- क ख ग घ के क्रम में बिना मात्रा के एक ही शब्द बनता है जबकि ग म न ज में 20 स ज्यादा सरल शब्द बनते हैं। इसके कारण बच्चे जल्दी सीखते हैं।
- ग म न ज लिखन में भी सरल है, लेकिन क ख में बदलाव आता है जिससे सीखने में ज्यादा समय लगता है।
- पहली कक्षा के विद्यार्थियों को सबस पहले आकार बनाया सिखाया जाता है। इसके बाद चक्र और सीधी लकीर सिखाई जाती है जिससे ग बन जाता है। इस लकीर को अगर दाईं ओर थोड़ा और मोड़ दिया जाए तो म बन जाता है। यह ज्यादा आसान हो जाता है।
तार्किक रूप से यह क्रम ज्यादा असरकारी
जीसीईआरटीए के डायरेक्टर टीएस जोशी के मुताबिक, ग म न ज क्रम सीखना ज्यादा आसान होता है। हालांकि इस नए क्रम को लागू किए 20 साल हो गए लेकिन शिक्षक पुरातन पद्धति से ही पढ़ाते थे। अब इसका महत्व समझ में आया तो सभी ने ग म न ज का तरीका अपनाया है। तार्किक रूप से भी यह क्रम का अासान होता है। सबसे अलग बच्चे पढ़ते समय ज्यादा उत्साहित रहते हैं।
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