(ग) कोरोना का संकट
*कोरोना संकट का असर सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास * हमारा दायित्व
बों पर चिंता व्यक्त
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कोरोना: भारत के कोरोना संकट की चिंता पूरी दुनिया को क्यों करनी चाहिए?
मैंने इस तरह के डरावने हालात इससे पहले कभी नहीं देखे थे. मुझे तो यक़ीन भी नहीं हो रहा है कि हमलोग भारत की राजधानी में हैं." यह कहना था जयंत मल्होत्रा का.
उन्होंने बीबीसी से बात करते हुए कहा, "लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है और वो जानवरों की तरह मर रहे हैं.''
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भारत का कोरोना संकट कितना गंभीर है?
दिल्ली के एक श्मशान घाट में शवों का अंतिम संस्कार (22 अप्रैल)कोरोना के मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसलिए श्मशान घाट में एक ही साथ कई शवों को जलाया जा रहा है.
इस साल फ़रवरी में रोज़ाना कोरोना संक्रमितों की संख्या क़रीब 12 हज़ार थी और मरने वालों की संख्या कुछ सौ थी, तब लोगों को उम्मीद हो गई थी कि भारत में कोरोना का सबसे बुरा दौर गुज़र चुका है.
लेकिन 17 अप्रैल के बाद से भारत में रोज़ाना दो लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ रहे हैं जबकि पिछले साल सितंबर में जब कोरोना अपने पीक पर था तब भारत में रोज़ाना क़रीब 93 हज़ार मामले आ रहे थे.
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इस दौरान रोज़ाना मरने वालों की संख्या भी बढ़ी है जो 25 अप्रैल तक औसतन 2336 हो गई है. पिछले साल के पीक में रोज़ाना मरने वालों की लगभग दो गुना.
बीबीसी के स्वास्थ्य और विज्ञान संवाददाता जेम्स गैलाघर के अनुसार स्पष्ट है कि भारत संघर्ष कर रहा है. सामने जो डर सता रहा है वो मुझे उस समय की याद दिला रहा है जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी और लोगों को इसके बारे में कोई ज़्यादा जानकारी नहीं थी.
जेम्स कहते हैं, "पूरे मेडिकल केयर से बाद भी कोरोना जानलेवा हो सकता है, लेकिन जब अस्पतालों में जगह भी नहीं है तब तो वो लोग भी मारे जाते हैं जिनकी ज़िंदगी शायद बचाई जा सकती थी."
दिल्ली में हालात ज़्यादा ख़राब हैं जहाँ एक भी आईसीयू बेड ख़ाली नहीं है.