(ग) कवयित्री कैसी सोच पर शर्मिदा हैं?
मंदिर-मस्जिद बनने पर
(in) धर्म जाति में बंधकर छोटी सोच रखने पर
(ii) विभिन्न धर्मों पर
(iv) पूजा की सोच पर
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कवित्री विभिन्न धर्मों की सोच पर शर्मिंदा है।
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