गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समय समीप है?
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गिल्लू ने दिन भर कुछ नहीं खाया था। रात में वह बहुत तकलीफ में लग रहा था। उसके बावजूद वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के पास आ गया। गिल्लू ने अपने ठंडे पंजों से लेखिका कि अंगुली पकड़ ली और उनके हाथ से चिपक गया। इससे लेखिका को लगने लगा कि गिल्लू का अंत समय समीप ही था।
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सामान्यतः गिलहरी का जीवनकाल दो वर्ष का माना जाता है। जब गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आया तो उसने दिनभर कुछ भी नहीं खाया और वह बाहर भी घूमने नहीं गया। वह अपने झूले से नीचे उतरा और लेखिका के बिस्तर पर आकर उसकी उँगली पकड़कर चिपक गया। इन सभी चेष्टाओं से लेखिका को लगा कि उसका (गिल्लू का) अंत समीप है और सुबह की पहली किरण के साथ ही वह हमेशा के लिए सो गया।
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