Hindi, asked by utsa19, 9 months ago

गुन के गाहक सहस नर बिन गुन लहै न कोय।
जैसे कागा कोकिला, शब्द सुनै सब कोय।।
शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन।
दोऊ को एक रंग, काग सब भये अपावन।
कह 'गिरिधर कविराय', सुनो हो ठाकुर मन के।।
बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के ।। 3 ।।​

Answers

Answered by jitekumar4201
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गुन के गाहक सहस, नर बिन गुन लहै न कोय।

जैसे कागा कोकिला, शब्द सुनै सब कोय॥

शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन।

दोऊ के एक रंग, काग सब भये अपावन॥

कह गिरिधर कविराय, सुनो हो ठाकुर मन के।

बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के॥

उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कि जिस प्रकार नाव में पानी भरने से नाव डूबने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में हम दोनों हाथ से नाव का पानी बाहर फेंकने लगते है। ठीक वैसे ही घर में धन बढ़ जाने पर हमें दोनों हाथों से दान करना चाहिए।

साँई सब संसार में, मतलब का व्यवहार।

जब लग पैसा गाँठ में, तब लग ताको यार॥

तब लग ताको यार, यार संग ही संग डोले।

पैसा रहे न पास, यार मुख से नहिं बोले॥

कह गिरिधर कविराय जगत यहि लेखा भाई।

करत बेगरजी प्रीति, यार बिरला कोई साँई॥

‘गुन के गाहक सहस, नर बिन गुन लहै न कोय

Answered by vlaxmi13953
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Explanation:

dau ko दोऊ को एक रंग, काग सब भये अपावन।

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