Hindi, asked by sr5943481, 4 months ago

गुन के गाहक सहस नर, बिनु गुन लहै न कोय।
जैसे कागा कोकिला, शब्द सुनै सब कोय ।
शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन।
दोऊ को इक रंग, काग सब भए अपावर।
कह गिरिधर कविराय, सुनो हो ठाकुर मन
बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के का​

Answers

Answered by alihusain40
11

Explanation:

प्रस्तुत पंक्ति में गिरिधर कविराय ने मनुष्य के आंतरिक गुणों की चर्चा की है। गुणी व्यक्ति को हजारों लोग स्वीकार करने को तैयार रहते हैं लेकिन बिना गुणों के समाज में उसकी कोई मह्त्ता नहीं। इसलिए व्यक्ति को अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।

शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन। दोऊ के एक रंग, काग सब भये अपावन॥ कह गिरिधर कविराय, सुनो हो ठाकुर मन के। बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के॥


parthgabale: nice
Similar questions