गिन्नी का सोना पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि आदर्शवादिता और व्यवहारिकता इनमें से जिवन में किसका महत्व है तथा कैसे?
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गांधीजी व्यवहारिकता को पहचानते थे इसलिए वे अपने विलक्षण आदर्श चला सकें किन्तु गांधीजी ने कभी व्यवहारिकता के लिए आदर्शो का परित्याग नही किया । वे कभी आदर्श को व्यवहारिकता के स्तर पर उतारने नही देते थे । बल्कि व्यवहारिकता को आदर्शो के स्तर पर बढ़ाते थे वे सोने मैं ताम्बा नही बल्कि ताम्बे मैं सोना मिलाते थे । इसलिए व्यहार में सदैव सोना आगे चलता है ।
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