History, asked by kamarkushwaha12, 1 month ago

गुप्तकालीन धार्मिक स्थिति पर टिप्पणी लिखिये।​

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Answered by shaikhnayum310
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Answer:

गुप्त साम्राज्य को ब्राह्मण धर्म व हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान का समय माना जाता है। हिन्दू धर्म विकास यात्रा के इस चरण में कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए जैसे मूर्तिपूजा हिन्दू धर्म का सामान्य लक्षण बन गई। यज्ञ का स्थान उपासना ने ले लिया एवं गुप्त काल में ही वैष्णव एवं शैव धर्म के मध्य समन्वय स्थापित हुआ। ईश्वर भक्ति को महत्त्व दिया गया। तत्कालीन महत्त्वपूर्ण सम्प्रदाय के रूप में वैष्णव एवं शैव सम्प्रदाय प्रचलन में थे।

गुप्तकालीन धार्मिक स्थिति

विष्णु

गुप्त साम्राज्य को ब्राह्मण धर्म व हिन्दू धर्म के पुनरुत्थान का समय माना जाता है। हिन्दू धर्म विकास यात्रा के इस चरण में कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए जैसे मूर्तिपूजा हिन्दू धर्म का सामान्य लक्षण बन गई। यज्ञ का स्थान उपासना ने ले लिया एवं गुप्त काल में ही वैष्णव एवं शैव धर्म के मध्य समन्वय स्थापित हुआ। ईश्वर भक्ति को महत्त्व दिया गया। तत्कालीन महत्त्वपूर्ण सम्प्रदाय के रूप में वैष्णव एवं शैव सम्प्रदाय प्रचलन में थे।

वैष्णव धर्म

मुख्य लेख : वैष्णव धर्म

यह गुप्त शासकों का व्यक्तिगत धर्म था। अनेक गुप्त राजाओं ने 'परामभागवत्' की उपाधि धारण की। इन राजाओं ने अपनी राजाज्ञाएं गरुड़ध्वज से अंकित करवायीं। चन्द्रगुप्त द्वितीय एवं समुद्रगुप्त द्वारा जारी किए गए सिक्कों पर विष्णु के वाहन गरुड़ की आकृति खुदी मिली है। इसके अतिरिक्त वैष्णव धर्म के कुछ अन्य चिह्न जैसे शंख, चक्र, गदा, पद्म, लक्ष्मी का अंकन भी गुप्तकालीन सिक्कों पर मिलता है। गुप्तकालीन महत्त्वपूर्ण अभिलेख स्कन्दगुप्त का 'जूनागढ़' एवं बुधगुप्त का 'एरण अभिलेख' विष्णु स्तुति से ही प्रारम्भ हुए हैं। चक्रपालित नाम से गुप्तकालीन कर्मचारी ने विष्णु के एक मंदिर का निर्माण करवाया था। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने विष्णुपद पर्वत के शिखर पर विष्णुध्वज की स्थापना की। गुप्तकालीन कुछ अभिलेखों ने विष्णु को ‘मधुसूदन‘ कहा गया है। वैष्णव धर्म गुप्त काल में अपने चरमोंत्कर्ष पर र्था। 'अवतारवाद' वैष्णव धर्म का प्रधान अंग था।

Answered by rahul123437
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गुप्त पारंपरिक रूप से एक हिंदू राजवंश थे। वे रूढ़िवादी हिंदू थे, और बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों को अपने धर्मों का पालन करने की अनुमति देते थे।

Explanation:

  • गुप्त साम्राज्य में बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म दोनों का समर्थन प्राप्त हुआ और गुप्त राजा उस समय प्रचलित तीन धर्मों के बारे में पूरी तरह से सहिष्णु थे, लेकिन वे निस्संदेह उत्साही हिंदू थे जो ब्राह्मण सलाहकारों द्वारा निर्देशित और संस्कृत भाषा में कुशल थे।
  • गुप्त शासकों ने हिंदू धार्मिक परंपरा का संरक्षण किया और रूढ़िवादी हिंदू धर्म ने इस युग में खुद को फिर से स्थापित किया।
  • गुप्त पारंपरिक रूप से एक हिंदू राजवंश थे। वे रूढ़िवादी हिंदू थे, और बौद्ध और जैन धर्म के अनुयायियों को अपने धर्मों का पालन करने की अनुमति देते थे

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