गोपियों के मन की व्यथा क्या है ? वह मन में ही क्यों रह गई ?
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Answer:
गोपियां श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं। ... गोपियां श्रीकृष्ण से अपार प्रेम करती थीं। उन्हें लगता था कि श्रीकृष्ण के बिना वे रह ही नहीं सकती थीं। जब श्रीकृष्ण ने उद्धव के द्वारा उन्हें योग-साधना का उपदेश भिजवा दिया था तब गोपियों का विरही मन इसे सहन नहीं कर पाया था और उन्होंने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए थे।
Answer:
गोपियां अपने हृदय की पीड़ा श्रीकृष्ण को सुनाना चाहती थीं लेकिन निर्गुण ज्ञान के संदेश को सुनकर वे कुछ न कर पाई। उन के वियोग से उत्पन्न पीड़ा संबंधी बात उन के मन में ही रह गई।
Explanation:
गोपियों के मन में अत्यंत प्रेम और भक्ति की भावना होती थी जो उन्हें श्रीकृष्ण के प्रति आकर्षित करती थी। वे उनके रूप, लीला, गुण और मधुर वाणी के अद्भुत सामर्थ्य से दीवानी हो गई थी। उन्होंने अपने मन में उनकी चित्र बनाकर उन्हें पूजनीय माना था।
गोपियों की व्यथा उन्हें इस बात का आभास था कि उन्हें श्रीकृष्ण के साथ अपनी जीवन की पूर्णता नहीं मिल पा रही है। श्रीकृष्ण उनके साथ खेलते, नाचते, गाते और हंसते थे, लेकिन उन्हें इस बात का आभास था कि उन्हें कभी उनका साथ नहीं मिलेगा। इसीलिए उनकी व्यथा के कारण वे श्रीकृष्ण के लिए मन में दर्पण बनाए रखती थीं। इस प्रकार उनकी मन में उनकी अति आनन्दमयी प्रेम भावनाओं को संचित रखने से उन्हें अपनी आनंद की अनुभूति होती थी।
गोपी को महसूस होता है कि उसके और कृष्ण के बीच मुरली ही बाधक है। इस मुरली के कारण ही वह कृष्ण को सामीप्य पाने से वंचित रह जाती है।
गोपियां अपने हृदय की पीड़ा श्रीकृष्ण को सुनाना चाहती थीं लेकिन निर्गुण ज्ञान के संदेश को सुनकर वे कुछ न कर पाई। उन के वियोग से उत्पन्न पीड़ा संबंधी बात उन के मन में ही रह गई।
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