गोपियों की विरह दशा' के भाव किस रस के अंतर्गत आते हैं
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Answer:
viyog shringar ras
Explanation:
गोपियों की विरह दशा' के भाव में श्रृंगार रस अंतर्गत आते है|
श्रृंगार रस में स्थाई भाव रति होता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है| श्रंगार रस में सुख की प्राप्ती होती है | श्रृंगार रस में प्रेम,मिलने, बिछुड़ने आदि जैसी क्रियायों का वर्णन होता है तो वहाँ श्रृंगार रस होता है|
उदाहरण
श्रृंगार रस में किसी कहानी में जब दो लोगो के प्यार में बिछड़ने के बारे में बताया जाता है |
इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है|
श्रृंगार रस के दो भेद होते हैं –
(क) संयोग श्रृंगार (ख) वियोग श्रृंगार ।
(क) संयोग श्रृंगार : जहाँ नायक और नायिका के बीच परस्पर मेल-मिलाप और प्रेमपूर्ण वातावरण होता है , वहाँ संयोग श्रृंगार होता है ।
स्थायी भाव - रति
संचारी भाव - लज्जा , जिज्ञासा ,उत्सुकता आदि ।
(ख) वियोग श्रृंगार ।
जहाँ नायक और नायिका के बीच परस्पर दूरी ,विरह अथवा तनाव पूर्ण वातावरण होता है और मिलाप, मिलन नहीं होता , वहाँ वियोग श्रृंगार होता है ।
स्थायी भाव - रति
संचारी भाव - उदासी , दुख, निराशा आदि ।
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रसराज किस रस को कहा जाता है l