गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में अर्द्धसूत्रण होने पर कितने और कैसे गुरु बीजाणु बनते हैं?
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जीवविज्ञान में बीजाणु (spore) लैंगिक व अलैंगिक प्रजनन की एक संरचना है जिसे कोई जीव या जीव जाति स्वयं को फैलाने (प्रकीर्णन करने) या विषम परिस्थितियों में दीर्घकाल तक जीवित रहने के लिये बनाती है। बीजाणु बहुत से पौधों, शैवाल (ऐल्गी), कवक (फ़ंगस) और प्रोटोज़ोआ के जीवनचक्र का महत्वपूर्ण भाग होता है। बैक्टीरिया (जीवाणु) के भी बीजाणु बनते हैं, जो अंतर्बीजाणु (endospore) कहलाते हैं, जो किसी प्रजनन चक्र का भाग नहीं होते, बल्कि कठिन परिस्थितिओं में बैक्टीरिया को जीवित रखने के लिए बना एक निष्क्रय सिकुड़ा ढांचा होता है। कुछ परजीवी अन्य जीवों के शरीरों में अलग-अलग प्रकार से बीजाणु डाल देते हैं, जो उन जीवों के भीतर विकसित होते हैं।
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