गैरीबाल्डी के कार्यो की चर्चा करें।
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ज्यूसप गैरीबाल्डी नीस नगर में 1807 ई. में जन्मा। उसके पिता व्यापारिक जहाज में एक अधिकारी थे अतः उसे भूमध्य सागर की यात्राओं का अनुभव था। इन यात्राओं से वह इटली के राष्ट्रभक्तों के सम्पर्क में आया। एक नौ सैनिक विद्रोह में भाग लेने पर उसे मृत्युदण्ड मिला किन्तु वह दक्षिणी अमेरिका भाग गया। वहां उसने छापामार युद्ध का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
1854 में इटली लौटने पर उसने केप्रीरा टापू खरीद लिया (इसी के कारण नेपल्स व सिसली इटली में शामिल हुए) । गैरीबाल्डी ने लाल कुर्ती नामक देशभक्तों का संगठन बनाया। 1000 लाल कुर्ती वाले स्वयंसेवको का दल बना 5 मई 1860 को सिसली पर आक्रमण कर दिया। इंग्लैण्ड की अप्रत्याशित सहायता से उसने विजय प्राप्त कर स्वयं को अधिनायक घोषित कर दिया।
रोम पर आक्रमण करने से कावूर ने उसे रोक दिया तथा विक्टर एमेनुअल से समझौता करा कर नेपल्स और सिसली को इटली में समाहित करना स्वीकार कर लिया और अपना शेष जीवन किसान के रूप में व्यतीत किया।
गैरीबाल्डी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण घटना थी - उसका गणतन्त्र समर्थक से राजतन्त्र समर्थक बन जाना।
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ज्यूसप गैरीबाल्डी नीस नगर में 1807 ई. में जन्मा। उसके पिता व्यापारिक जहाज में एक अधिकारी थे अतः उसे भूमध्य सागर की यात्राओं का अनुभव था। इन यात्राओं से वह इटली के राष्ट्रभक्ति के सम्पर्क में आया। एक नौ सैनिक विद्रोह में भाग लेने पर उसे मृत्युदण्ड मिला किन्तु वह दक्षिण अमेरिका भाग गया। वहां उसने छापामार युद्ध का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
1854 में इटली लौटने पर उसने केप्रीरा टापू खरीद लिया (इसी के कारण नेपल्स व सिसली इटली में शामिल हुए)। गैरीबाल्डी ने लाल कुर्ती नामक देशभक्तों का संगठन बनाया। 1000 लाल कुर्ती वाले स्वयंसेवको का दल बना 5 मई 1860 को सिसली पर आक्रमण कर दिया। इंग्लैण्ड की अप्रत्याशित सहायता से उसने विजय प्राप्त कर स्वयं को अधिनायक घोषित कर दिया।
रोम पर आक्रमण करने से कावूर ने उसे रोक दिया तथा विक्टर एमैनुएल से समझौता करा कर नेपल्स और सिसली को इटली में समाहित करना स्वीकार कर लिया और अपना शेष जीवन किसान के रूप में व्यतीत किया।
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