India Languages, asked by jagadeesanvetr8990, 10 months ago

ग्राफिक डिज़ाइनके तत्वों और ग्राफिक डिज़ाइनके सिद्धांतों में क्या अंतर है? अपने निजी उदाहरण देते हुए स्पष्ट करें।

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Answered by shishir303
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ग्राफिक डिजाइन एक रचनात्मक कार्य है और उसके लिए भरपूर रचनात्मकता चाहिए। किसी भी कागज पर पेन आदि से कुछ भी उल्टा सीधा लिख दिया जाए तो उसे लेखन नहीं कहते। उसी तरह किसी भी कागज पर उल्टी-सीधी तस्वीर बना दी जाए तो उसे भी ग्राफिक डिजाइन नही कहा जाता। ग्रैफिक्स डिजाइन में उसके तत्वों और उसके सिद्धांतों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ग्राफिक डिजाइन में बिंदु, रेखाएं, आकृतियां, रूप, रंग ग्राफिक डिजायन के बुनियादी तत्व कहलाते हैं, जिनके बिना किसी भी तरह की किसी भी तरह की ग्राफिक डिजायन को करना असंभव होता है। ग्राफिक डिजाइन में इन तत्वों के विन्यास व व्यवस्था के लिये कुछ नियम या सिद्धांत सिद्धांत कहलाते हैं,जो ग्राफिक के सिद्धांत कहलाते हैं। इ सिद्धांतों का पालन करने से ग्राफिक डिजायन सुंदर और प्रभावशाली बनती है।  

ग्राफिक डिजायन के तत्वों की तीन प्रमुख श्रेणियां होती हैं। जो इस प्रकार हैं...  

  • बुनियादी तत्व  
  • संबंधात्मक तत्व  
  • अभिप्राय मूलक तत्व  

बुनियादी तत्व — अमूर्त संकल्पना के रूप में होते हैं, जिनका कोई अस्तित्व नहीं होता।बुनियादी तत्व इस प्रकार है...बिंदु, रेखा, तल, अंतराल, आकृति, रूप, रंग, धूसर पैमाना, रंगत, माप, चमक या दीप्त तथा बुनावट या पोत आदि।  

संबंधात्मक तत्व  — इस वर्ग में आने वाले तत्व दर्शन आयोजन में बिंदु और रोग जैसी आधारभूत तत्वों के स्थापन और उनके अंतर संबंधों को अनुशासित करते हैं। संबंधात्मक तत्व इस प्रकार हैं... संरेखण, दिशा, दृष्टि-आकर्षण, आकृति और भूमि, दृश्य गुरुत्व आदि।  

अभिप्राय मूलक तत्व — सभी डिजाइनों का कोई ना कोई प्रयोजन या अभिप्राय होता है। ग्राफिक डिजाइन लक्षित दर्शकों पर पूरा प्रभाव डालते हैंस जैसे कि किसी अखबार में दिया गया कोई विज्ञापन केवल संदेश नहीं देता बल्कि पाठक पर एक प्रभाव भी डालता है। यह सब अभिप्राय मूलक तत्व के उचित प्रयोग से ही संभव हो पाता है। अभिप्राय मुल्क तत्व तीन तरह के होते हैं, सौंदर्य, विषय वस्तु और कार्य।

ग्राफिक डिजाइन के सिद्धांत — ग्राफिक डिजाइन के अनेक सिद्धांत हैं, जो काफी समय में विकसित हुए हैं। इन सभी सिद्धांतों को समझना और व्यवहारिक रूप से प्रयोग में लाना एक रचनात्मक विविधता वाला कार्य होता है, जो डिजायनर की अभिवृत्ति और उसके समग्र दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।

किसी भी कलात्मक या डिजाइन से संबंध रखने वाली कृति में रूप यानि समग्र संरचना और अलग-अलग घटकों के साथ उसका संबंध तथा उसकी उपयुक्तता एवं एकता का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। यदि डिजाइनर इन सब बातों का ध्यान रखेगा तो उसकी कलाकृति सुंदर बनेगी। किसी भी कलाकृति या डिजाइन में उन सभी बुनियादी तत्व में एकरूपता होनी आवश्यक है, जिन का डिजाइनर ने चित्रण किया है। किसी भी डिजाइन का सौंदर्य और उसकी रचनात्मकता एक ऐसी अभिव्यक्ति वाला गुण होता है जो डिजाइन के सिद्धांतों जैसे संतुलन, एकता, सुसंगतता और लयात्मकता के सुचारु कार्यान्वयन आदि से बनता है।

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पाठ - 1 : “ग्राफिक डिजायन के तत्व और सिद्धांत”

विषय : ग्राफिक डिजायन – एक कहानी [कक्षा - 11]  

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