ग्रामीण विकास के लाभ कौन-कौन से हैं व्याख्या कीजिए
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ग्राम-पंचायतें गाँवों की आर्थिक, सामाजिक तथा न्यायिक सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान करके ग्रामीण विकास के अवसर बढ़ाती हैं।
पंचायतें गाँवों में सड़क निर्माण, स्वच्छता, पेयजल, परिवार कल्याण, स्वास्थ्य, कृषि, पशुपालन, मछली पालन, सहकारिता, शिक्षा, कुटीर उद्योग आदि विकास कार्यों को निष्पादित कराती हैं।
सरकार द्वारा स्थापित बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं ने देश के विकास में विशेष रूप से ग्रामीण विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है इन परियोजनाओं में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। इन परियोजनाओं में भाखड़ा-नांगल, दामोदर घाटी, रिहन्द, चम्बल, राजस्थान नहर, कोसी, हीराकुण्ड, गण्डक, रामगंगा, बाण सागर, नागार्जुन सागर, तुंगभद्रा, महानदी, फरक्का आदि प्रमुख परियोजनाएं हैं। इन परियोजनाओं से सिंचाई, परिवहन, बिजली उत्पादन, भूमि संरक्षण व बाढ़- नियंत्रण, मत्स्य पालन, पेय जल आदि का लाभ एक साथ प्राप्त होता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में इस प्रकार की बहुउद्देश्यीय परियोजनाएं किसी भी देश में नहीं बनाई गईं। इन परियोजनाओं ने गाँवों को नया जीवन दिया है।
ग्रामीण विकास के लिये शासन स्तर पर उपरोक्त प्रयत्नों के अलावा कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिये भूमि सुधार कार्यक्रम सूखा क्षेत्र तथा मरु विकास कार्यक्रम, आदि चलाए जाते हैं। कृषकों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सके, इसके लिये विपणन के अंतर्गत प्रशीतनघरों व गोदामों का निर्माण, नियमित मण्डियों की स्थापना, परिवहन साधनों का विकास, श्रेणीकरण व मानकीकरण की व्यवस्था, सार्वजनिक वितरण प्रणाली का क्रियान्वयन आदि उपाय किए जाते हैं। इन सबका मूल्यांकन करने पर प्रतीत होता है कि ग्रामीण विकास के लिये जितना व्यय विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों पर किया गया है, उसका प्रतिफल नहीं मिल पाया है। ऐसा भी तथ्य प्रकाश में आया है कि योजनाओं व कार्यक्रमों में संलग्न बिचौलियों के कारण सही मात्रा में लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुँच सका है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि प्रत्येक योजना व कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का सही मायने में विकास हो सके। इसमें स्वयंसेवी संस्थाओं का अपेक्षित सहयोग लिया जा सकता है।