ग्रामम् परित: वृक्षा: सन्ति। इति वाक्ये विभक्ति: अस्ति ।
(क) पञ्चमी (ख) द्वितीया (ग) तृतीया (घ) षष्ठी
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द्वितीया विभक्तिः
Step-by-step explanation:
ग्रामम् परित: वृक्षा: सन्ति।
- इति वाक्ये द्वितीया विभक्ति: अस्ति ।
- परित:' योगे द्वितीया विभक्तिः भवति
(परित: के योग में द्वितीया विभक्ति होती है।)
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इति वाक्ये द्वितीया विभक्ति: अस्ति।
Explanation:
- वाक्य में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग कर्म कारक(जिस 'संज्ञा(वस्तु या व्यक्ति) पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है) में होता है। कर्ता के द्वारा किये गये कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
- ग्रामम् परित: वृक्षा: सन्ति, इस वाक्य में 'ग्रामम्' को 'वृक्षा: परित:' सर्वाधिक अभीष्ट है, अत: वृक्षा: ‘कर्म’ संज्ञा है और 'परित:' में द्वितीया विभक्ति है।
- अत: वह कर्मसंज्ञक है। कर्तृवाच्य के वाक्यों के कर्म में द्वितीया विभक्ति लगती है।
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