Hindi, asked by deepalik696, 7 months ago

गुरु नानक देव पाठ का सारांश​

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Answered by asha202
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Answer:

गुरु नानकदेव ऐसे ही षोडश कला से पूर्ण स्निग्ध ज्योति महामानव थे । लोकमानस में अर्से से कार्तिकी पूर्णिमा के साथ गुरु के आविर्भाव को सम्बन्ध जोड़ दिया गया है। गुरु किसी एक ही दिन को पार्थिव शरीर में आविर्भूत हुए होंगे, पर भक्तों के चित्त में वे प्रतिक्षण प्रकट हो सकते हैं।

Answered by mithu456
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उत्तर:गुरु नानकदेव ऐसे ही षोडश कला से पूर्ण स्निग्ध ज्योति महामानव थे । लोकमानस में अर्से से कार्तिकी पूर्णिमा के साथ गुरु के आविर्भाव को सम्बन्ध जोड़ दिया गया है। गुरु किसी एक ही दिन को पार्थिव शरीर में आविर्भूत हुए होंगे, पर भक्तों के चित्त में वे प्रतिक्षण प्रकट हो सकते हैं।
व्याख्या:
गुरु नानकदेव एक महान् संत थे ।। उनके समय के समाज में अनेक प्रकार की बुराइयाँ विद्यमान थीं ।। समाज का आचरण दूषित हो चुका था ।। इन बुराइयों को दूर करने और सामाजिक आचरणों में सुधार लाने के लिए गुरु नानकदेव ने न तो किसी की निंदा की और न ही तर्क-वितर्क द्वारा किसी की विचारधारा का खंडन किया ।





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