Hindi, asked by prrrrr61, 1 year ago

गुरु पूडिमा का क्या महत्तव है विस्तार से बताये।

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Answered by ashutosh00
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this the answer...........
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Answered by loveyou22
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आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है. भारतवर्ष में कई विद्वान गुरु हुए हैं, किन्तु महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) के चारों वेदों की व्याख्या की थी.

सिख धर्म केवल एक ईश्वर और अपने दस गुरुओं की वाणी को ही जीवन का वास्तविक सत्य मानता है. सिख धर्म की एक प्रचलित कहावत निम्न है:

‘गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पांव, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए'।।

क्या है मान्यता

कहा जाता है कि आषाढ़ पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था. उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. मगर गूढ़ अर्थों को देखना चाहिए क्योंकि आषाढ़ मास में आने वाली पूर्णिमा तो पता भी नहीं चलती है. आकाश में बादल घिरे हो सकते हैं और बहुत संभव है कि चंद्रमा के दर्शन तक न हो पाएं.

बिना चंद्रमा के कैसी पूर्णिमा! कभी कल्पना की जा सकती है? चंद्रमा की चंचल किरणों के बिना तो पूर्णिमा का अर्थ ही भला क्या रहेगा. अगर किसी पूर्णिमा का जिक्र होता है तो वह शरद पूर्णिमा का होता है तो फिर शरद की पूर्णिमा को क्यों न श्रेष्ठ माना जाए क्योंकि उस दिन चंद्रमा की पूर्णता मन मोह लेती है. मगर महत्व तो आषाढ़ पूर्णिमा का ही अधिक है क्योंकि इसका विशेष महत्व है.

आषाढ़ की पूर्णिमा ही क्यों है गुरु पूर्णिमा

आषाढ़ की पूर्णिमा को चुनने के पीछे गहरा अर्थ है. अर्थ है कि गुरु तो पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह हैं जो पूर्ण प्रकाशमान हैं और शिष्य आषाढ़ के बादलों की तरह. आषाढ़ में चंद्रमा बादलों से घिरा रहता है जैसे बादल रूपी शिष्यों से गुरु घिरे हों. शिष्य सब तरह के हो सकते हैं, जन्मों के अंधेरे को लेकर आ छाए हैं. वे अंधेरे बादल की तरह ही हैं. उसमें भी गुरु चांद की तरह चमक सके, उस अंधेरे से घिरे वातावरण में भी प्रकाश जगा सके, तो ही गुरु पद की श्रेष्ठता है. इसलिए आषाढ़ की पूर्णिमा का महत्व है! इसमें गुरु की तरफ भी इशारा है और शिष्य की तरफ भी. यह इशारा तो है ही कि दोनों का मिलन जहां हो, वहीं कोई सार्थकता है.

गुरु पुर्णिमा पर्व का महत्व

जीवन में गुरु और शिक्षक के महत्व को आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए यह पर्व आदर्श है. व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा अंधविश्वास के आधार पर नहीं बल्कि श्रद्धाभाव से मनाना चाहिए.

गुरु का आशीर्वाद सबके लिए कल्याणकारी व ज्ञानवर्द्धक होता है, इसलिए इस दिन गुरु पूजन के उपरांत गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. सिख धर्म में इस पर्व का महत्व अधिक इस कारण है क्योंकि सिख इतिहास में उनके दस गुरुओं का बेहद महत्व रहा है.

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