गुरु-शिष्य घूमते हुए किस नगरी में पहुँचे?
Answers
गुरु-शिष्य घूमते हुए अंधेर नगरी में पहुँचे |
कविता की कहानी
प्रश्न :- इस कविता की कहानी अपने शब्दों में लिखो|
उत्तर- यह कहानी अंधेर नगरी के गुरू और चेले से शुरू होती है| दोनों ने एक साथ ही आते हैं| लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें पता चलता है कि यह अंधेर नगरी है और यहां का राजा बिल्कुल मुर्ख है| यह सुनकर गुरु अपने चेले को उस नगरी से फ़ौरन वापस चलने को कहता है| लेकिन चेला वापस जाने से इंनकार कर देता है कारण नगरी में हर चीज एक टके की मिलती थी|
तब गुरु अकेला ही वहां से चला जाता है और चेला वही रह कर खाने-पीने का आनंद लेने लगा उस नगरी में खीरा, ककड़ी, रबड़ी, मलाई जैसी चीजें टका सेर मिलती थी| कुछ दिन बाद नगरी की एक दिवार गिर जाती है| तब राजा इसके दोषी को पकड़ने का हुक्म देता है| दोषी के रूप में सिपाही, कारीगर, भिश्ती, मशकवाले, मंत्री सबको पकड़ कर लाया जाता है| बाद में दोषी के रूप में मंत्री को फांसी देने का आदेश होता है| लेकिन उसकी मोटी गरदन नहीं थी इसलिए मंत्री को फांसी नहीं दी जाती और चेले को फांसी देने के लिए लाया जाता है| तब चेला आपने गुरु को याद करता है और गुरु जाकर अपनी चालाकी से चेले को फांसी से बचा लेता है साथ ही मुर्खता के कारण राजा स्वयं ही फाँसी पर चढ़ जाता है| मुर्ख राजा के मरने से सारी प्रजा खुश हो जाती है|