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रस बताइए :
प्रीति-नदी में पाँउ न बोरूयो, दृष्टि न रूप परागी ।
सूरदास अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यों पागी ।।
Answers
रस बताइए :
प्रीति-नदी में पाँउ न बोरूयो, दृष्टि न रूप परागी ।
सूरदास अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यों पागी ।।
इन पंक्तियों में वियोग श्रृंगार रस है। वियोग श्रृंगार रस में नायक और नायिका के मिलन में बाधा उत्पन्न होती है और विरह की उत्पत्ति होती है। नायक और नायिका एक दूसरे के वियोग में तड़पते-तरसते हैं। इस तरह एक दूसरे के प्रेम में अनुरक्त नायक एवं नायिका के मिलन का अभाव वियोग अर्थात विप्रलंभ शृंगार रस प्रकट करता है।
इन पंक्तियों में गोपियां श्री कृष्ण के प्रति प्रेम भाव रखते हुए उनके वियोग को सह रही हैं और तड़प रही हैं। उद्धव जी द्वारा उपदेश देने पर उन्हें ताने-उलाहना देते हुए श्री कृष्ण के प्रति अपने प्रेम भावों तुलना के लिए अनेक उदाहरण देती हुई अपने प्रेम का पक्ष रख रही हैं|
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At nahi rahi hai kavita mei kon sa ras hai??
Answer:
shingar ras
Explanation:
because priti Nadi mein pain n boryo