गौरव सी काया पड़ी प्रताप की पंक्ति का भाव स्पष्ट करो
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उत्तर: साँस आशा में मछली की तरह लटकी हुई है।
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कवि कहता है कि मृत्यु रूपी मछुआ राणा प्रताप को अनंत मृत्यु लोक की ओर खींच कर ले जा रहा है परन्तु उसकी सांस मछली की भाँती इसी आशा में अटकी है कि शायद कोई उत्तराधीकारी के रूप में कह दें कि मेवाड़ की रक्षा की भार वह उठाएगा। वही शब्द घूमता सा-गूँजता विकल है .
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