'गीत-अगीत' के केंद्रीय भाव को लिखिए।
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उत्तर :
‘गीत अगीत’ कविता का केंद्रीय भाव -:
‘गीत अगीत’ कविता में कवि ने स्पष्ट किया है कि प्रेम की पहचान दिखावे में नहीं अपितु मोहन भाव से प्रेम की पीड़ा को पी जाने में है। नदी विरह के गीत गाते हुए तेज़ गति से सागर से मिलने चली जाती है। वह अपने विरह व्यथा अपने रास्ते में आने वाले पत्थरों को सुनाती है परंतु नदी किनारे उगा हुआ गुलाब मौन भाव से सोचता रहता है तथा अपने प्रेम -भावो को व्यक्त नहीं करता है। तोता दिन निकलने पर मुखरित होता है परंतु तोती प्रेम भाव में डूबी मौन रहती है। प्रेम उच्च स्वर में आल्हा गाकर अपना प्रेम व्यक्त करता है परंतु प्रेमिका छिपकर उसका गीत सुनकर भी मौन रहती है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
Answer:
गीत-अगीत कविता का केन्दिय भाव यह है कि गीत रचने की मनोदशा ज्य़ादा महत्व रखती है, उसको महसूस करना आवश्यक है। ... उसे शुक, शुकी के क्रिया कलापों में भी गीत नज़र आता है। कवि प्रकृति की हर वस्तु में गीत गाता महसूस करता है। उनका कहना है जो गाया जा सके वह गीत है और जो न गाया जासके वह अगीत है |
Explanation:
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