Hindi, asked by anilprasad96, 9 months ago

गाता खग प्रात: उठकर-
.
सुंदर, सुखमय जग-जीवन ।
गाता खग संध्या-तट पर -
मंगल, मधुमय जग-जीवन ।
कहती अपलक तारावलि
अपनी आँखों का अनुभव,
अवलोक आँख आँसू की
भर आतीं आँखें नीरव।
हँसमुख प्रसून सिखलाते
पल भर है, जो हँस पाओ,
अपने उर की सौरभ से
जग का आँगन भर जाओ।
उठ-उठ लहरें कहतीं यह
हम कूल विलोक न पाएँ,
पर इस उमंग में बह बह
नित आगे बढ़ती जाएँ।
कँप कँप हिलोर रह जाती
रे मिलता नहीं किनारा।
बुबुद् विलीन हो चुपके
पा जाता आशय सारा। कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखें।​

Answers

Answered by rudrapratapsingh24
0

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बहुते बणा सवाल हैहैहैहैहै‌

Answered by sahanipravin603
1

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where is this question answer

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